For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फुसफुसाहट नफरतों की तेज फिर होने लगी - ग़ज़ल

2122  2122  2122  212

**************************

एक भी उम्मीद उन  से  तुम न पालो दोस्तो

रास्ता  इन  बीहड़ों  में  खुद  बना  लो दोस्तो

***

बंद दरवाजे जो  दस्तक से  नहीं खुलते कभी

इंतजारी  से  तो  अच्छा  तोड़  डालो  दोस्तो

***

फुसफुसाहट नफरतों की तेज फिर होने लगी

प्यार का परचम  दुबारा तुम उठा लो दोस्तो

***

होश में तो  कह  रहे  थे ‘साथ  हम तेरे खड़े’

गिर रहा मदहोशियों  में अब सॅभालो दोस्तो

***

मौत से  बढ़कर  पहेली  जिंदगी हमको लगी

हल पहेली  का  तो कोई तुम निकालो दोस्तो

***

करके कद  छोटा  किसी का तो  बडे़ होते नहीं

वास्ते इसके  स्वयं  का   कद बढ़ा लो दोस्तो

***

                      (रचना-१५ जून २०१४)

***

मौलिक और अप्रकाशित

( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

Views: 547

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 23, 2014 at 10:14am

आ0 भाई विजय शंकर जी रचना का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 22, 2014 at 7:32pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत कही है , हर शे र काबिले दाद है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 22, 2014 at 12:10pm

अजगुत , अद्भुत , अद्वितीय , अविस्मरणीय  i

धामी जी आपकी कलम को नमस्कार i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 22, 2014 at 9:55am

मौत से  बढ़कर  पहेली  जिंदगी हमको लगी

हल पहेली  का  तो कोई तुम निकालो दोस्तो...........बहुत ही खूब कहा, लाजवाब

हरेक शेर बेहतरीन आदरणीय लक्ष्मण जी, दिली बधाइयाँ स्वीकारें

Comment by Abhinav Arun on June 22, 2014 at 7:18am
मौत से बढ़कर पहेली जिंदगी हमको लगी

हल पहेली का तो कोई तुम निकालो दोस्तो...क्या कहने आदरणीय शानदार ग़ज़ल हार्दिक बधाई !!
Comment by वेदिका on June 22, 2014 at 2:46am
एक भी उम्मीद उन से तुम न पालो दोस्तों
रास्ता इन बीहड़ों में खुद बना लो दोस्तों // वाह! बेहद खूबसूरत आशावान मतला

बंद दरवाजे जो दस्तक से नहीं खुलते कभी
इंतजारी से तो अच्छा तोड़ डालो दोस्तों // सबसे खूबसूरत शेअर मेरी नज़र में
लाजवाब गजल के लिए दिली दाद प्रेषित है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2014 at 9:52pm

आत्मविश्वास जगाती सार्थक ग़ज़ल कही है लक्ष्मण धामी भैय्या ,बहुत खूब हार्दिक बधाई प्राप्त करें 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 21, 2014 at 8:22pm
आदरणीय लक्ष्मण दामी जी ,
बहुत सुन्दर , करके कद छोटा किसी का तो बडे़ होते नहीं
वास्ते इसके स्वयं का कद बढ़ा लो दोस्तो
***
बधाई।
सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय। परिवर्तित मतला और शेर भी बहुत प्रभावी बन पड़ा है। मंच को लाभान्वित करने…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छे दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई। सार्थक और विषयानुकूल। बहुत बढ़िया "
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"धन्यवाद आदरणीय अशोक जी "
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आभार गिरिराज जी "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service