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क्या भूलूँ क्या याद करूँ ?

क्या भूलूँ क्या याद करूँ ?
सब परछाईं सा लगता है

कब पूछा किसने हाल मेरा
किसने मुझ को दुलराया था
हर काम यहाँ मेरा नसीब
सब कुछ हमको ही करना था

क्या बोलूँ क्या न बोलूँ ?
बस मौन साध के रहना है

घर छोड़ के आई बाबुल का
सोचा ये आँगन मेरा है
पर कोई नहीं जिसे अपना कहूँ
है देश यहाँ बेगानों का

क्या सोचूँ क्या ना सोचूँ ?
बस चंद दिनों का मेला है

सब जन करते निंदा मेरी
करना था वो करती आई
गर फिर भी पात्र हूँ निंदा की
तो सिर आँखों पर निंदा मेरी

क्या देखूँ क्या ना देखूँ ?
ये जग तो सिर्फ छ्लावा है

बस मौन रहो कर्तव्य करो
मत सोच सराहा जाएगा
रिश्तों की ठेलम-ठेला जग
अपने मन में संतोष करो

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना मिश्रा बाजपेई

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:15am

बस मौन रहो कर्तव्य करो मत सोच सराहा जाएगा रिश्तों की ठेलम-ठेला जग अपने मन में संतोष करो

आदरणीया कल्पना बाजपेयी जी, मर्म और कर्म दोनों एक साथ !!! यही सकारात्मक सोच सफलता के द्वार खोलती है, सुन्दर रचना हेतु बधाई........................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 9:21pm

आदरणीया कल्पना जी इस कविता के जरिये भावनाओं का मार्मिक वर्णन किया है हार्दिक बधाई आपको,
सादर,

Comment by kalpna mishra bajpai on May 20, 2014 at 8:50pm
आ० कुंती मुखर्जी जी हार्दिक आभार /सादर
Comment by kalpna mishra bajpai on May 20, 2014 at 8:48pm
आ०गोपाल नारायण सर हार्दिक आभार /सादर
Comment by coontee mukerji on May 20, 2014 at 8:09pm

क्या भूलूँ क्या याद करूँ ?
सब परछाईं सा लगता है

कब पूछा किसने हाल मेरा
किसने मुझ को दुलराया था
हर काम यहाँ मेरा नसीब
सब कुछ हमको ही करना था

क्या बोलूँ क्या न बोलूँ ?
बस मौन साध के रहना है.....बहुत अच्छा लगा ये पक्तियाँ.....बहुत सुंदर. हार्दिक बधाई.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 20, 2014 at 6:07pm

नारी की पीड़ा  झलकती है  i सुन्दर i

Comment by kalpna mishra bajpai on May 20, 2014 at 2:46pm

आ० सुशील सर आपका हार्दिक आभार /सादर

Comment by Sushil Sarna on May 20, 2014 at 2:30pm

आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेई जी आंतरिक मनोभावों के द्वन्द को चित्रित करती ये रचना किसी के भी हृदय को झकझोड़ सकती है।  इस मर्म स्पर्शी रचना की प्रस्तुति के लिए आप निश्चय  ही बधाई की पात्र हैं। 

Comment by kalpna mishra bajpai on May 20, 2014 at 11:58am

आ० श्याम नारायन वर्मा सर हार्दिक आभार /सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on May 20, 2014 at 11:22am
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई ...............

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