For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन की उपलब्धियों की ढेरी

बेकार अख़बारों की ढेरी जैसा

खाली दूध की थैली व बोतल -सा

मन की उपलब्धियों का -

माल बिक सकता है ?

कोई कबाड़ी वाला आएगा।

ये सब ले जाएगा,

पूरा-का-पूरा कबाड़ उठ जाएगा

सच्ची सजावट सुथरी हो कर निखरेगी

हर चीज यथावत रखी हुई चमकेगी ।

मन की उपलब्धियों की इस ढेरी में

टूटे-फूटे शीशों और कनस्तर जैसा-

मुरझाया हुआ विश्वास,

फटे-पुराने जूतों सा-

बदरंग स्वाभिमान ,

टूटी -फूटी काँच की बोतल जैसे

टूटे बिखरे सपने,

पीतल के पिचके बटुए सरीखा

बेचारा अर्ध सत्य- 

जीवन बन गया रद्दी का अंबार,

निश्चित ही रद्दी वाला  आएगा

सारा सामान अपनी बोरी में

बटोर कर ले जाएगा 

डालेगा जाकर इक बड़े से कारखाने में -

जहां फिर से उपलब्धियां का सामान -

नया रूप ,नया रंग

लेकर ही निकलेगा ।

क्या कभी कोई ऐसा रद्दी वाला आएगा ?

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना मिश्रा बाजपेई

Views: 668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on May 20, 2014 at 11:14am

आ० पाण्डेय सर आप मेरा सत बार नमन /सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2014 at 3:39am

आपकी संवेदना को नमन.. .

सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on May 6, 2014 at 6:44pm

हार्दिक आभार,मुकेश सर/ सादर

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on May 6, 2014 at 5:42pm

आदरणीया कल्पना जी
एक वैचारिक मन मे उमड़ते हुए ख़यालात और भविष्य के प्रति सजगता.. सुंदर बहुत सुंदर.
ये पंक्तियाँ मन पर गहरी छाप अंकित करती हैं.

मन की उपलब्धियों की इस ढेरी में

टूटे-फूटे शीशों और कनस्तर जैसा-

मुरझाया हुआ विश्वास,

फटे-पुराने जूतों सा-

बदरंग स्वाभिमान ,

टूटी -फूटी काँच की बोतल जैसे

टूटे बिखरे सपने,

पीतल के पिचके बटुए सरीखा

बेचारा अर्ध सत्य-

जीवन बन गया रद्दी का अंबार,

मुबारकबाद इस खूबसूरत रचना के लिए

Comment by kalpna mishra bajpai on May 6, 2014 at 3:03pm

आ0 annapurna bajpai जी हार्दिक आभार

Comment by kalpna mishra bajpai on May 6, 2014 at 3:02pm

आ0 JAWAHAR LAL SINGH सर आप की उम्मीद पर मुझे भी उम्मीद है , बहुत आभार

Comment by annapurna bajpai on May 6, 2014 at 11:59am

क्या कोई फेरि वाला आयेगा ...................... बहुत खूब , सुंदर भाव से सजी कल्पना ,  कल्पना जी की रचना बहुत बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2014 at 11:39am

निश्चित ही रद्दी वाला  आएगा

सारा सामान अपनी बोरी में

बटोर कर ले जाएगा 

डालेगा जाकर इक बड़े से कारखाने में -

जहां फिर से उपलब्धियां का सामान -

नया रूप ,नया रंग

लेकर ही निकलेगा ।

क्या कभी कोई एसा फेरी वाला आएगा ?

निश्चित ही आएगा ...उम्मीद पर दुनिया कायम है ...

Comment by kalpna mishra bajpai on May 5, 2014 at 1:55pm

आ० अरुण कुमार निगम सर हार्दिक आभार । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 4, 2014 at 9:16pm

पीतल के पिचके बटुए सरीखा

बेचारा अर्ध सत्य-

जीवन बन गया रद्दी का अंबार...............अतिसुन्दर............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
44 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service