एक प्रयास मित्रों !!!
******(लोक-गीत)*******
गीतु लिखे वियोग मअ..अगन के |
जलत रातु -दिनु..बिनु सजन के ||
आए अबके न सावनु झूम के |
बौराए अबके न डारि अम्बुआ के |
भीज गयी असुअन.. हिचकारी रे |
जलत रातु -दिनु ..बिनु सजन के |
गीतु लिखे वियोग मअ.. अगन के ||
आगु लगे ..संगिनी -साथिन के |
बैठे राहें तन्हा..अँधेरिया अटारी पे |
फूटि पड़े..अंगु -अंगु..सिथुलाई रे |
जलत रातु -दिनु ..बिनु सजन के |
गीतु लिखे वियोग मअ .. अगन के ||
निंदिया.. रूठि रहि.. मनुहारि के |
सेज लगे नाग सी ..फुंफुकारी के |
अब सहे न जाई विरहा ये जुदाई रे |
जलत रातु -दिनु.. बिनु सजन के |
गीतु लिखे वियोग मअ.. अगन के ||
---------------अलका गुप्ता --------------
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
विरह भाव को जगाता सुंदर लोकगीत के प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया अलका जी
इस सुन्दर लोकगीत के लिए बधाई, आदरणीया।
मन मुग्ध करता सुन्दर लोक गीत | हार्दिक बधाई आदरणीया
आदरणीया अलका जी इस सुंदर लोक गीत के लिए तहे दिल बधाई के साथ सादर
आदरणीया , सुन्दर लोक गीत के लिये आपको बधाई !!
बहुत सुंदर लोक गीत है....इसे सुर ताल के साथ सुनने में बहुत ही अच्छा लगेगा....हार्दिक बधाई अलका जी.
सुन्दर गीत रचना के लिए बधाई ...................... |
आदरणीया अलका गुप्ता जी सादर, सुन्दर लोक-गीत की प्रस्तुति.सावन फागुन सब बीत गया. बहुत लम्बी जुदाई है. सादर बधाई स्वीकारें.
सुन्दर लोक गीत अलका जी ,बहुत- बहुत बधाई.
बहुत सुंदर भाव से विरह-वेदना पर लोक-गीत लिखा आपने आदरणीया अलका जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें
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