शब्द भावों के गले मिलने लगें |
ह्रदय हर किसी के.. मथने लगें |
गुदगुदाते ...लताड़ते से...कभी...
सहलाते से जीवन संवारने लगें ||
राह अभिव्यक्ति की चलने लगें |
शब्द घेरे में जब ..सिमटने लगें |
शब्द मात्रा..रस..छंद..अलंकार में ..
स्मृतियाँ महाकाव्य सी रचने लगें ||
प्रताड़ना से घिरे शब्द भर्त्सना पाने लगें |
लड़ें शब्द-शब्द अंतर-कपट उभरने लगें |
दुत्कारते शब्द ...लानत से लगें जब...
विचलित मन..एकाकी ..घबराने से लगें ||
झिड़कियाँ भी माँ की थपककर सुलाने लगें |
स्नेह सिंचित शब्द माँ के लोरियाँ सी लगें |
वात्सल्य पगे शब्द...शब्द ना रहें .. माँ की..
डांटके शब्द संस्कार से ..वजूद में समाने लगें ||
------------------अलका गुप्ता ------------------------
नोट ;-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आपकी कोई पहली रचना देख रहा हूँ. आप सतत सार्थक प्रयास करें.
सादर
अति सुंदर भाव पिरोए हैं। बधाई, आदरणीया अलका जी।
सुंदर भावपूर्ण रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीया अलका जी
आदरणीया , सुन्दर रचना के लिये आपको बधाई ॥
सुंदर भावाभिव्यक्ति है बधाई आपको आदरणीया
बढ़िया रचना पर हार्दिक बधाइयाँ ...... |
अलका जी
हम लोग तो कुछ मुरव्वत करते भी है, पर ब्रिजेश नीरज जी खरी खरी कहते है i उनके मशवरे पर अमल कीजिये i आपको लाभ मिलेगा i रचना में जल्दबाजी न करे और कई कई बार पढ़े i रख दे , चार दिन बाद पढ़े तब आपकी ही कलम रचना का संपादन करेगी i शुभ आशीर्वाद i
शब्द ही हैं जो रस भी घोलते हैं और पीड़ा भी देते हैं! शब्दों को संजोकर प्रस्तुत किया जाए तो कविता का रूप ले लेते हैं!
आपका प्रयास अच्छा है! रचना के शिल्प पर कार्य करने की आवश्यकता है!
इस अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई!
अति सुंदर. शब्दों का परिचय.शब्द क्या नहीं करते.कबीर जीने कहा है-
''शब्द शब्द सब कोई कहे,शब्द के हाथ न पाँव
एक शब्द औषध करे,एक शब्द करे घाव.''
सादर.
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