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भारत हमारा, कामरूप छंद

भारत हमारा

(कामरूप छंद)

भारत हमारा, देश न्यारा, सृष्टि का उपहार।

तहजीब अपनी, गंग जमुनी, नाज जिसपर यार।।

सीख दे ममता, और समता, कर्म गीता सार ।

जनतंत्र आगर, विश्व नागर, मानता संसार।।

सत्यनारायण सिंह

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 594

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Comment by Satyanarayan Singh on April 24, 2014 at 10:21pm

सादर आभार आ. लक्ष्मण धामी जी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 24, 2014 at 11:04am

बहुत सुंदर रचना आदरणीय सत्यनारायण जी, हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2014 at 8:34pm

आदरणीय सत्यनारायण भाई , बहुत सुन्दर कामरूप छंद रचना की बधाई ॥

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 23, 2014 at 12:02pm

बहुत ही सुन्दर आदरणीय बधाई स्वीकारें

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 22, 2014 at 10:54am

भाई सत्यनारायण जी क्या खूब कहा , हार्दिक बधाई .

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