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पढ़े लिखे कुछ लोग भी, दे हैरत में डाल।

बेटी भी औलाद है, फिर क्यूँ करे बवाल।।

 

इतनी छोटी बात भी, समझे ना इंसान।

बेटी जन्में पुत्र को, रखते कुछ तो मान।।

 

बेटी मेरा खून है, बेटी मेरी जान।

बेटी से ये सृष्टि है, बेटी से इंसान।।

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 23, 2014 at 8:41am

बहुत सुंदर दोहावली आदरणीय शिज्जू जी, हार्दिक बधाई आपको

Comment by hemant sharma on February 22, 2014 at 11:04pm
bahut hi sundar dohe aadarneey badhai....

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 22, 2014 at 8:54pm

आदरनीय शिज्जू भाई , आज की ज्वलंत समस्या पर आपके तीनो दोहे बहुत शानदार लगे ॥ आपको कोटिशः बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 22, 2014 at 8:03pm

तीनो शानदार ,बेहतरीन दोहे ...वाह अंतिम तो बहुत ही ज्यादा पसंद आया 

बेटी मेरा खून है, बेटी मेरी जान।

बेटी से ये सृष्टि है, बेटी से इंसान।।

 बहुत- बहुत बधाई शिज्जू भाई इन दोहों के लिए. 

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