For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कवि
कौन कहता है
मैं कवि हूँ और वह नहीं ?
मैं पेट भर खाने के बाद
बरामदे की गुनगुनी धूप में बैठा हूँ
प्रकृति दर्शन के लिए –
वह,
भूखे पेट
एक कटी पतंग की डोर थामने
आसमान की ओर बेतहाशा भागा जा रहा है
मगर,
आसमान है कि
उससे दूर हटता जा रहा है –
बादल, क्षितिज और
एक कटी पतंग को
अपनी नीलिमा की ओढ़नी में छुपाकर,
कविता की लकीर खींचता हुआ !!!

(मौलिक तथा अप्रकाशित रचना)

Views: 589

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 11, 2014 at 3:20am

भाई राम शिरोमणि जी, जब समझ में नहीं आया तो प्रशंसा कैसे कर दी आपने!! खैर, प्रशंसा सबको पसंद है, मुझे भी क्योंकि मैं भी तो एक साधारण इंसान हूँ. आपका हार्दिक आभार. मैंने वंदना जी को जो उत्तर दिया है उससे आपकी जिज्ञासा भी संतुष्ट होगी, ऐसी मेरी आशा है. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 11, 2014 at 3:15am

आदरणीय अरुन शर्मा अनंत जी, आपका हार्दिक आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 11, 2014 at 3:14am

आदरणीया वंदना जी, मेरी रचना को पढ़ने के लिए आभार. यदि आप बाकी पंक्तियों का अर्थ समझ गयी होतीं तो अंतिम दो पंक्तियाँ पहेली न बनती. "वह" एक छोटा सा बच्चा है जो गरीब है, भूखा ही रहता है. "आसमान" उसकी अभिलाषा या लक्ष्य है. "बादल" उसके सपने हैं, "क्षितिज" उसकी सीमा - एक ऐसी रेखा जो रहते हुए भी नहीं है. "कटी पतंग की डोर" वह अवसर है जो उसके भाग्य में आते-आते भी छूटता नज़र आता है. फिर भी "वह" "आसमान" की ओर भाग रहा है क्योंकि उसमें भावनाएँ हैं, कल्पना है, साहस है, सरलता है, चाह है. जब दर्द भी हो और इतना कुछ साथ हो तो कविता का जन्म होता है - एक भूखे बच्चे का सपना, एक भूखे समाज की ज़िंदगी की कविता. ऐसी कविता जिसके पास शब्द नहीं हैं मात्र एक अनुरणन है. इसीलिए हम कविता की केवल एक "लकीर" खिंचती हुई देख रहे हैं.  आशा है मेरी सोच आपसे साझा कर पाया कुछ-कुछ. सादर.

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 10, 2014 at 8:15pm

सुंदर , बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 10, 2014 at 5:42pm

आदरणीय , सुन्दर रचना के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by ram shiromani pathak on February 10, 2014 at 3:06pm

सच में बहुत गहराई है रचना में, सुन्दर अतीव सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय हार्दिक बधाई आपको//आदरणीया वंदना जी से सहमत हूँ,अल्प विवेक के कारण मै भी नहीं समझ पाया //////////   सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 10, 2014 at 11:57am

आदरणीय सर बहुत ही सुन्दर रचना हार्दिक बधाई आपको

Comment by Vindu Babu on February 10, 2014 at 5:16am

सहज और अच्छी कविता बन पड़ी है आदरनीय।

निवेदन है सर, अंतिम दो पंक्तियाँ मुझे खूब स्पष्ट नहीं हो पायीं.

अपनी नीलिमा...मतलब कविकर्म?

कविता की लकीर खींचता हुआ....कहाँ,कैसे?

सादर शुभकामनायें...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 10, 2014 at 3:06am
आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण जी.
Comment by Shyam Narain Verma on February 7, 2014 at 10:29am
बहुत बढ़िया रचना आदरणीय.....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service