For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घु सुबह-सुबह ऑटो रिक्शा लेकर सड़क पर निकला ही था क़ि तभी ट्रैफिक पुलिस के एक सिपाही ने हाथ देकर रिक्शा रोक लिया, रघु एक अंजाने भय से कांप गया |
"स्टेशन जा रहे हो क्या ? चलो मुझे भी चलना है" सिपाही जी अपने चिरपरिचित अंदाज मे बोले |
"जी, साहब, स्टेशन ही जा रहे हैं"
आज दिन ही खराब है, सुबह सुबह पता नही किसका मुँह देख लिया था, अभी बोहनी भी नही हुई और सिपाही जी आकर बैठ गये, मन ही मन खुद को कोसते हुए रघु गंतव्य की ओर बढ़ चला | रघु स्टेशन पहुँच कर सभी यात्रियों से किराया लेने लगा | सिपाही जी भी किराया निकाल रघु की तरफ बढ़ा दिए |
"अरे साहब यह क्या ? मैं आपसे भाड़ा लूँगा ? आप रहने दीजिए |"
"क्यों ? तुम्हारा ऑटो रिक्शा पानी से चलता है क्या ?"
नही साहब रिक्शा तो पेट्रोल से ही चलता है, पररररर .....

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट =>लघुकथा : बलात्कार

Views: 1047

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 4, 2013 at 5:11pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, लघुकथा पर आपकी प्रथम स्नेह पूर्ण टिप्प्णी और पुनः दूसरी बार समीक्षात्मक रूप से लिखी गई उत्साहवर्द्धित करती टिप्प्णी पढ़ आह्लादित हूँ साथ ही आशान्वित भी हूँ कि प्रस्तुत लघुकथा अपने मूल स्वरुप में आप तक पहुँच सकी है, पररररररररर के पीछे सोच वही है जैसा की आपने उल्लेख किया है, नतमस्तक हूँ आदरणीय, बहुत बहुत आभार, स्नेह बनाये रखें, सादर |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 4, 2013 at 5:04pm

आदरणीय विजय मिश्र जी, आपकी टिप्प्णी अग्रेतर लेखन हेतु उत्साहवर्धन करती हैं, मैं आभारी हूँ, स्नेह बना रहे, सादर |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 4, 2013 at 5:03pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी, आप तक लघुकथा हूबहू पहुँच सकी, लेखन कर्म सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार |

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 4, 2013 at 12:15pm

आदरणीय भ्राताश्री दिल खुश हो गया बहुत ही सुन्दर लघुकथा आपकी लघुकथा बता रही है कि अभी भलाई का अंत नहीं है. बहुत बहुत बधाई आपको इस सुन्दर संदेशात्मक लघुकथा हेतु

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 4, 2013 at 11:36am

आदरणीय बागी जी

मै 'छवि' लघु  कथा पर पुनः प्रस्तुत हूँ  i इसमें परररररर ------ का जो प्रयोग हुआ है वह पाठक को आगे की कल्पना के लिए स्वतंत्र छोड़ देता है i कोई पुलिस वाला इतनी भी जहमत नहीं उठाता कि वह पैसे देने की पेशकश करे और यह सहानुभूति दिखाए कि क्या वाहन पानी से चलता है ? इसलिए प्रथमतः मैंने इसका आशवादी  अर्थ लिया i परन्तु  यह अधूरा शब्द और भी अर्थ समेटे है i मसलन चालक  की सोच यह हो कि बच्चू  अभी तो पैसे  दे दोगे  पर बाद में तुम्ही चालान करोगे  या  आपके पैसे भला इस गरीब  को रास आएंगे या आज तक तो ऐसा हुआ नहीं कि कोई पुलिस वाला पैसे देकर गया  हो i  ऐसे तमाम विकल्प आपने पाठक की  उर्वर कल्पना पर छोड़ दिए i  तो यह अधूरा वाक्य इस कथा का अनूठा क्लाईमेक्स है ---=-- जिसके लिए हंड्रेड मार्क्स  भी कम है  i  आदरणीय

Comment by वेदिका on December 4, 2013 at 10:40am

पूर्वाग्रह को झटके से तोड़ती हुयी, समाज मे मानवता भरती हुयी प्रेरणा लघुकथा पर शुभकामनायें आ० बागी जी!!

Comment by vandana on December 4, 2013 at 6:56am

सुखद घटनाएं जीवन को प्राण ऊर्जा से भर देती हैं ...सार्थक सन्देश आदरणीय गणेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2013 at 11:46pm

बहुत अच्छी लघुकथा आदरणीय गणेशजी पररररर .....ये अपने पीछे कई सवालात छोड़ता है, इस कामयाब रचना पर बधाई

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 3, 2013 at 11:14pm

जिससे कोई उम्मीद नहीं करता वो यदि रहम  दिल  हो जाये तो आश्चर्य तो होगा ही। बधाई गणेश भाई लघु कथा की। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 3, 2013 at 5:29pm

पर र र ----आपके पैसे पचेंगे नहीं | वाह ! बहुत खूब | सुन्दर व्यंग लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई श्री गणेशजी "बागी" जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
12 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service