For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौसम-ए-इश्क दबे पाँब चला जाता है

2122     /1122    /1122        /22

मौसम-ए-इश्क हसीं प्यास जगा जाता है

प्रेमी जोड़ों का सुकूँ चैन चुरा जाता है 

दिल की धड़कन को बढ़ा सीने में तूफ़ान छुपा

मौसम-ए-इश्क दबे पाँब चला जाता  है 

सर्द हो  रात  हो बरसात का मादक मंजर

मौसम-ए-इश्क  सदा सब को जला जाता है  

 

दर्द  ऐसा  भी है, अहसास सुखद है जिसका 
मौसम-ए-इश्क वो अहसास करा जाता  है


देख आँखों मे चमक गुल की यूँ  हैराँ मत हो
मौसम-ए-इश्क हसी नूर खिला जाता है

 

गैर अपनों से लगें अपने लगें गैरों से

मौसम-ए-इश्क तमाशा यूँ दिखा जाता है

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 920

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 2, 2013 at 1:35pm

आदरणीय शिज्जू जी ..आपकी राय पर अमल करने की कोशिस कर रहा हूँ ..मुझसे कोई भी गलती हो तो मुझे हमेशा की तरह आपके स्नेहिल मार्गदर्शन की अभिलाषा है ..आपके परामर्श के अनुरूप ग़ज़ल की बातें में आदरणीय वीनस जी द्वारा दी गयी जानकारी का भी अध्यन कर रहा हूँ ..बस यूं ही स्नेह बनाये रखें सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 2, 2013 at 8:55am

सुंदर ग़ज़ल ... एक साँस पे पढ़ी जाने वाली लय ..और उत्तम भाव....
इस सम्प्पर्ण पॅकेज के लिए बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 1, 2013 at 1:03pm

आदरणीय आशुतोष जी वाह बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल मौसम-ए-इश्क का बहुत ही सुन्दर वर्णन क्या कहने बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 1, 2013 at 6:49am

आदरणीय आशुतोष भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल कही है आपको ढेरों बधाई !!!!

गैर अपनों से लगें अपने लगें गैरों से

मौसम-ए-इश्क तमाशा यूँ दिखा जाता है --- सत्य वचन भाई जी , बहुत खूब , बधाई !!!!!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 1, 2013 at 1:19am

मौसम-ए-इश्क हसीं प्यास जगा जाता है

हुस्न वालों  का भी ईमान  हिला जाता है.............वाह! बेईमान जाता है, ईमानदार मतला हुआ

गैर अपनों से लगें अपने लगें गैरों से

मौसम-ए-इश्क तमाशा यूँ दिखा जाता है...........वाह! तमाशा दिखाता हुआ मिसरा

कमाल की लाजवाब गजल, दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय डा. आशुतोष जी

Comment by नादिर ख़ान on November 30, 2013 at 11:31pm

मौसम-ए-इश्क हसीं प्यास जगा जाता है

हुस्न वालों  का भी ईमान  हिला जाता है 

धड़कने दिल की बढ़ा सीने मे तूफॉ रखकर 

मौसम-ए-इश्क दबे पाँब चला जाता  है 

आदरणीय आशुतोष जी खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई ........

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 30, 2013 at 10:37pm

आदरणीय  आशुतोष जी

मौसमे इश्क दबे पांव चला जाता है i

पुरानी कहावत है - आग लगाके जमालो दूर खडी  i

बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने  i  मुबारक हो i

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2013 at 7:48pm

क्या बात है बेहतरीन ग़ज़ल कही है मौसमे इश्क पे

इस ग़ज़ल के लिए दिली दाद हाजिर है

जय हो


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 30, 2013 at 7:45pm

मौसम-ए-इश्क हसीं प्यास जगा जाता है

हुस्न वालों  का भी ईमान  हिला जाता है वाह क्या बात है बेहतरीन मतला हुआ है

आदरणीय डॉ आशुतोष जी 

अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
21 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
23 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service