For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ठीक जगह पर देख भाल के बैठा हूँ।
मैं अपनी कुर्सी संभाल के बैठा हूँ।

तीसमारखाँ बहुत बना फिरता था वो ,
मैं उसकी पगड़ी उछाल के बैठा हूँ।

दुष्मन से बदला लेने की खातिर मैं
आस्तीन में साँप पाल के बैठा हूँ।

संसद की गरिमा से क्या लेना-देना ,
संसद में जूता निकाल के बैठा हूँ।

कौन समस्यायें जनता की रोज सुने ,
अपने कान में रूर्इ डाल के बैठा हूँ।

ऐरा गैरा नत्थू खैरा मत समझो ,
सारी दुनिया मैं खंगाल के बैठा हूँ।

मौलिक अप्राकिषत एवं अप्रसारित

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on September 28, 2013 at 12:30pm
सियासी माहौल के माकूल और तन्ज भी तगड़ा कसा है . खूबसूरत रचना के लिए बधाई .
Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 4:49pm

वाह  अवधेश भाई ,  बेहतरीन ग़ज़ल ///बधाई ।

Comment by Jitender Kumar Jeet on September 27, 2013 at 12:39pm

आदरणीय राम अवध जी, बहुत सुन्दर रचना ....मन को भा गई | ढेरों बधाई 

विशेषकर.. 

"संसद की गरिमा से क्या लेना-देना ,
संसद में जूता निकाल के बैठा हूँ।

कौन समस्यायें जनता की रोज सुने ,
अपने कान में रूर्इ डाल के बैठा हूँ। "... ये चार पंक्तियाँ ज्यादा अच्छी लगी  |

Comment by राज लाली बटाला on September 26, 2013 at 6:30pm

बहुत खूब !!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 26, 2013 at 3:34pm

भ्रस्ट नेता / अफसर की यही सच्चाई है ।  राम अवध भाई बधाई ।

Comment by annapurna bajpai on September 26, 2013 at 12:59pm

कौन समस्यायें जनता की रोज सुने ,
अपने कान में रूर्इ डाल के बैठा हूँ।................ बहुत खूबसूरत , आज के नेताओं पर सीधा प्रहार ,  बहुत बधाई आपको आ0 राम अवध जी । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 26, 2013 at 11:08am

आदरणीय राम अवध जी बेहद शानदार ग़ज़ल कही है आपने पढ़कर मजा आया सभी अशआर खूबसूरत बन पड़े हैं गुजारिश है कि यदि ग़ज़ल को बहर के साथ पोस्ट करेंगे तो समझने में आसानी होगी. इस बेहतरीन ग़ज़ल पर दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by वीनस केसरी on September 26, 2013 at 4:08am

ठीक जगह पर देख भाल के बैठा हूँ।
मैं अपनी कुर्सी संभाल के बैठा हूँ।

वाह वा क्या कहने ... शानदार मतला ,,, बेहतरीन ग़ज़ल .... ढेरो दाद

Comment by Abhinav Arun on September 26, 2013 at 3:48am

ऐरा गैरा नत्थू खैरा मत समझो ,
सारी दुनिया मैं खंगाल के बैठा हूँ।

 

 ............... समझ गया साहिब वाह कमाल का तेवर है आपका ..इस प्रहारक ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनायें श्री राम अवध जी !

Comment by वेदिका on September 25, 2013 at 11:59pm

निवेदन~ बहर साथ लिख कर दीजिये ताकि ......!

सादर !! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service