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हिंदी दिवस [दोहावली]

हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान
मिसरी घोले कान में ,इसमें बसती जान //

संस्कृत की दिव्या सुता ,जन जन का आचार
लाकर अब व्यवहार में ,दो इसको विस्तार //


मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान //


पर्व एक हिंदी दिवस, मनालो संग प्यार
वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार //


हिंदी भाषा देश को करती है धनवान
अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान //

हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी मनाओ यार
देव भाषा है इससे , महकाओ घर-बार //


स्नेह हिंदी भारत का ,भारत की है आस
हिंदी भाषा है मधुर सबका यह विश्वास //

हिंदी दिन की आपको ,बधाइयाँ हैं ढेर
हिंदी अपनाएं सभी अब काहे की देर //

          ...................................

..............मौलिक व अप्रकाशित ..............

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on September 16, 2013 at 9:54am

आदरणीया बहन प्रवीन मलिक जी एवं अन्नपूर्णा  वाजपाई जी हार्दिक आभार 

Comment by बृजेश नीरज on September 15, 2013 at 9:40pm

आदरणीया सरिता जी हिंदी दिवस पर हिंदी के सम्मान में लिखे आपके दोहे आपकी भावनाओं को व्यक्त करने में सफल हैं. आपके इस प्रयास पर आपको ढेरों बधाई.

मेरा यह मानना है कि जब हम कई दोहे लिख रहे होते है तो हर दोहे का कथ्य भिन्न होना चाहिए. कथ्य की समानता प्रयास की सुन्दरता को कम करता है. वैसे आप स्वयं ज्ञानी हैं. हो सकता है कि आप मेरे इस मत से सहमत न हों.

इन पदों/चरणों का अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हुआ. कृपया मार्गदर्शन प्रदान करें.

//भाषा सभी अलग अलग, अलग हैं संविधान//

 //मनालो संग प्यार//

//देव भाषा से इसकी, महकाओ घर-बार //

सादर!

Comment by Abhinav Arun on September 15, 2013 at 12:54pm

हिंदी दिवस के अवसर पर बहुत सुन्दर सशक्त दोहे प्रस्तुत किये आपने आ/ सरिता जी जी बहुत बधाई और शुभकामनायें !!

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 15, 2013 at 12:10pm

आदरणीया सरिता जी हिंदी दिवस के अवसर पर बहुत ही सुन्दर दोहावली प्रस्तुत की है आपने इस हेतु बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश कुमारी जी के द्वारा दिए गए निर्देशों को समझें आगे दोहे लिखने में सरलता होगी.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 15, 2013 at 9:55am

आदरणीय सरिता जी,  सादर प्रणाम!   सुन्दर दोहे। हिन्दी दिवस की ढेरों बधार्इ स्वीकार करें।   सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 14, 2013 at 11:34pm

हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान
कान में घोले मिसरी ,इसमें बसती जान //----मिसरी घोले कान में कर लें ---मिसरी में गुरुगुरु२ २ आ रहा है जब की लघु गुरु चाहिए विषम चरण के अंत में

भाषा सभी अलग अलग ,अलग हैं संविधान
हिंदी दिवस गौरव है ,हिंदी मेरी शान //--गौरव है हिंदी दिवस कर लें

मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान //---बहुत सुन्दर

पर्व एक हिंदी दिवस, मनालो संग प्यार
वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार //---अच्छा है

हिंदी भाषा देश को करती है धनवान
अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान //----उत्तम

हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी मनाओ यार
देव भाषा से इसकी, महकाओ घर-बार //----इसकी में गुरु गुरु आ गया ---अपनी भाषा/दैविक भाषा से सदा कर सकती हैं

स्नेह हिंदी भारत का ,भारत की है आस---भारत का में २ २ २ आ गए
हिंदी भाषा है मधुर सबका यह विश्वास //----ये पद ठीक है

हिंदी दिवस की सबको ,बधाइयाँ हैं ढेर ----सबको में २ २ आ गए
हिंदी अपनाओ अभी काहे की है देर //--ये पद ठीक है
प्रिय सरिता जी आप प्रयास रत रहें ,हिंदी दिवस की शुभकामनायें

Comment by ram shiromani pathak on September 14, 2013 at 8:53pm
सुन्दर दोहे है आदरणीया सरिता जी //
हिन्दी दिवस पर  हार्दिक बधाई !!

केवल भाषा ही नहीं ,है भारत की शान !
फहरे सारे विश्व में ,इसकी ध्वजा महान !!
Comment by annapurna bajpai on September 14, 2013 at 2:22pm
आदरणीया सरिता जी सुंदर अति सुंदर हिन्दी भाषा के लिए लिखी गई कविता हेतु आपको बहुत बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 14, 2013 at 1:59pm

आदरणीया सरिता ही , हिन्दी दिवस पर बहुत सार्थक दोहा वली की रच्ना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 14, 2013 at 1:41pm

निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ..बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय को शूल ..वाकई हिदी बहुत समृद्ध है ..इस दिशा में आपने जो कदम उठाया है अपने रचना के माध्यम से ..उसे सादर नमन करता हूँ ..मेरी तरफ से हार्दिक बधाई 

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