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लघु कथा - लिहाज (शुभ्रा शर्मा 'शुभ ')

राधे श्याम जी पान की दूकान पर हाथ में सिगरेट छुपाये खड़े थे | तभी आठ -नौ साल का लड़का राजा दूकान से गुटखा खरीद खा कर चल दिया |

एक महोदय दुकानदार से -जब अठारह साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू पदार्थ ना देने का बोर्ड लगाये हैं फिर भी आपने क्यों दे दिया ?
दुकानदार -मुझे क्या मालूम की ये अपने लिए ले रहा है या घर के बड़ों के लिए | और यदि जान भी जाएँ कि ये खुद खायेगा तब भी मैं नहीं दूंगा तो किसी और दूकान से ले लेगा , मैं नुकसान में क्यों रहूँ ,खीं -खीं करते हुए बोला |

राधेश्याम जी अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोले -ये मेरे विद्यालय में कक्षा चार का विद्यार्थी है ,मैं इसके ही लिहाज से सिगरेट नहीं जला रहा था , पर वो तो .......................

शुभ्रा शर्मा 'शुभ '

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by Shubhranshu Pandey on September 16, 2013 at 6:21pm

आदरणीय शुभ्रा जी 

जब गुरु जी ही ऎसी दूकानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं..... तो चेला तो चीनी होता ही है...गुरु जी की झिझक मिटा कर चला गया.

गुरु को शिक्षा के साथ साथ आचार, विचार, व्यवहार,संस्कार सभी का संप्रेषण उचित ढंग से करना चाहिये..

सादर.

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 6, 2013 at 1:54pm

यही यथार्थ है कलियुग का यह सबसे बड़ा प्रमाण है आदरणीया बिलकुल सटीक लघुकथा है बहुत बहुत बधाई

Comment by Meena Pathak on September 5, 2013 at 11:34pm

बहुत सुन्दर लघुकथा .. हार्दिक बधाई

Comment by बृजेश नीरज on September 5, 2013 at 8:32pm

ऐसा ही होता है। अच्छी कथा! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 5, 2013 at 8:28pm

लिहाज, एक ऐसा संस्कार है, जिसका अनुकरण हर उम्र ,चाहे बच्चे, युवा या बुजुर्ग हो अपने अंदर जीवित रखना चाहिए,

बहुत बढ़िया लघुकथा, बधाई आदरणीया शुभ्रा जी

Comment by ram shiromani pathak on September 5, 2013 at 8:13pm

बहुत ही सटीक समस्या से अवगत कराया है आपने आदरणीया सुभ्रा जी ,साधुवाद

Comment by annapurna bajpai on September 5, 2013 at 7:29pm

अच्छी लघु कथा , बधाई आपको आ0 शुभ्रा जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 1:39pm

आदरणीया शुभ्रा जी , बहुत अच्छी लघुकथा , एक ऐसी समस्या को उजागर करती जिसे टी व्ही से संस्कार पाने वाले समस्या मानते ही नही , आधुनिकता की निशानी समझते है !! आपको बधाई !!

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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