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पोखर छल छल जल भरे ,धुले धुले मैदान|

काई ने पहना दिए , हरित नवल परिधान||

धरती अंतर में छुपा,दादुर जीव विचित्र|  

नव चौमासे ने कहा ,बाहर आजा मित्र|| 

मुक्तक फूटें  मेघ से ,टपर टपर टपकाय |    

प्यासा चातक चुन रहा,चरुवा भरता जाय|| 

 

नित नवल प्राकृतिक सृजन ,मिले जो रश्मि पात|

रेशा रेशा झूमता , हँसते निशा  प्रभात || 

चटक चम्पई चांदनी,उजली उजली भोर|

कुसुमागम की थाप पर,नाचे मन का मोर||

जड़ चेतन सब ने किया ,सावन का सम्मान|

देखो जीवन पा रहे , खेतों में अब धान||

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(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2013 at 3:11pm

चटक चम्पई चांदनी,उजली उजली भोर|

कुसुमागम की थाप पर,नाचे मन का मोर||

इस दोहे का संदर्भ ले अन्य के प्रति भी अतिशय बधाइयाँ कह रहा हूँ.  सादर 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 30, 2013 at 2:42pm

बहुत ही सुंदर रचना हुई है आदरेया, हार्दिक बधाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 30, 2013 at 11:25am

वाह आदरणीया वाह बहुत ही सुन्दर मनोहारी दोहावली प्रस्तुत की है आपने पढ़कर मन झूम उठा ह्रदय से बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2013 at 9:43am

जीतेन्द्र जी प्रस्तुति पर आपकी प्रतिक्रिया उत्साहित कर रही है हार्दिक आभार 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 27, 2013 at 8:56am

"चटक चम्पई चांदनी,उजली उजली भोर|

कुसुमागम की थाप पर,नाचे मन का मोर||"..........आदरणीय राजेश कुमारी जी, बहुत ही खुबसूरत शब्दों से वर्षा ऋतू  का चित्रण, बहुत बहुत बधाई...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 26, 2013 at 8:57pm

प्रिय रामशिरोमणि पाठक जी आपको दोहावली पसंद आई हृदय से आभारी हूँ  |

Comment by ram shiromani pathak on July 26, 2013 at 8:44pm

वाह आदरणीया  बहुत ही सुन्दर दोहे है //हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 26, 2013 at 7:56pm

प्रिय सरिता जी आपको दोहावली पसंद आई दिल से आभारी हूँ |

Comment by Sarita Bhatia on July 26, 2013 at 7:46pm

वाह दी लाजवाब दोहावली प्रकृति चित्रण की ,बधाई स्वीकारें 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 26, 2013 at 7:25pm

आदरणीया कल्पना रमानी जी  आपकी आत्मीय प्रतिक्रिया पाकर प्रस्तुति धन्य हुई सादर 

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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