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इतना ओवर री एक्ट क्यूँ कर रही हो ऋतिका! मुंह कब तक फुलाए रखोगी ऐसा  क्या कर दिया मैंने? तुम ही तो चाहती थी कि मैं तुम्हारी तरह समाज सेवा करूँ इसी लिए तो उस एक्सीडेंट के केस को अपनी कार  में उठा के लाया पूरी कार ब्लड से गन्दी भी करवाई ,अपने हॉस्पिटल में एडमिट भी किया और ट्रीट मेंट भी कर रहा हूँ और क्या चाहिए तुमको ? और अच्छी खासी रकम  भी तो ली है ये क्यूँ नहीं कहते!!! ,ऋतिका का दबा गुस्सा मानो अचानक ज्वाला मुखी बनकर फूट  निकला ,केवल दो किलोमीटर पीछे हुए एक्सीडेंट का वो बेचारा पेशेंट साइकिल वाला था ना और ये कार वाला, क्या ये  अंतर मैं नहीं समझती ,कम से कम भगवान् से तो डरो भले ही मैं डॉ. नहीं हूँ पर इतना तो मुझे भी पता है की डाक्टर बनते वक़्त आप लोग क्या-क्या शपथ खाते हो!!!    

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 27, 2013 at 7:31am

आदरणीय वीनस केसरी जी लघुकथा आपको पसंद आई मेरे लेखन को सार्थकता मिली हार्दिक आभार |

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 12:55am

साईकिल के प्रसंग ने लघुकथा को ऊँचाई दे दी
बहुत शानदार ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 19, 2013 at 2:43pm

हाँ शुभ्रांशु पाण्डेय जी सही कहा ,डाक्टरी भी एक पैसा उघाऊ पेशा बनकर रह गया है लागों की नजरों में भगवान् सम  डॉक्टरों की छवि बिगड़ने लगी है। लघु कथा पर प्रतिक्रिया देने हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by Shubhranshu Pandey on July 19, 2013 at 2:10pm

आ. राजेश कुमारी जी,  एक सच्चाई जिसे सब जान कर भी अनजान होने का नाटक करते हैं. सेवा भी केवल समरथ को मिलती है. पहाडों की तबाही ने इसे सिद्ध भी किया है...

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2013 at 2:54pm

  प्रिय प्राची जी लघुकथा के मर्म का अनुमोदन कर आपने मेरी रचना को मान दिया इसके लिए हार्दिक आभार आपका 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 18, 2013 at 2:23pm

सोशल सर्विस सिर्फ..कार वाले एक्सीडेंट में याद आई .... सायकिल वाले में नहीं 

बहुत अच्छी लघुकथा लिखी है आ० राजेश जी 

हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2013 at 2:13pm

आदरणीया कुंती जी आपकी सराहना से ये लघुकथा धन्य हुई दिल से आभार |

Comment by coontee mukerji on July 18, 2013 at 1:23pm

थोड़े से श्ब्दों में आपने बहुत ही अच्छा पाठ पढ़ा दिया है. राजेश जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2013 at 12:22pm

  सादर आभार ब्रजेश नीरज जी लघु कथा आपको  पसंद आई।   उत्साह वर्धन हेतु   दिल से आभार  आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 18, 2013 at 12:20pm

  सादर आभार जितेन्द्र जीत जी लघु कथा आपको   पसंद आई। 

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