For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाम ही बस नाम बाकी रह गया है

नाम ही बस नाम बाकी रह गया है

 कहाँ अब इंसान बाकी रह गया है

क्यों नही करता वो मुझको अब क़ुबूल

कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है

बस तसल्ली है जो मेरे पास है

कौन सा सामान बाकी रह गया है

दिल मेरा कहता है वापस आएगा वो

क्या कोई तूफान बाकी रह गया है 

अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना 

अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है 

अजय कुमार शर्मा

मौलिक अप्रकाशित 

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:57am

अजय जी,
सितारों के आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 19, 2013 at 5:30pm

"बस तसल्ली है जो मेरे पास है

कौन सा सामान बाकी रह गया है"..वाह ! बहुत खूब..आदरणीय

"अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना 

अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है "....यह तो कमाल है , बहुत सुंदर आदरणीय..अजय जी, हार्दिक बधाई आपको

Comment by Ketan Parmar on July 19, 2013 at 11:44am

कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है

इस मिसरे में अगर सा होता तो और जियादा निखार आता

Comment by annapurna bajpai on July 18, 2013 at 1:52pm

बहुत बढ़िया नज़्म के लिए बधाई स्वीकारे आदरणीय ।  

Comment by बृजेश नीरज on July 18, 2013 at 1:36pm

आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by राज़ नवादवी on July 18, 2013 at 12:32pm

क्यों नही करता वो मुझको अब क़ुबूल

कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है

बहुत खूब!

Comment by बसंत नेमा on July 18, 2013 at 12:15pm

आ0 अजय शर्मा जी बहुत सुन्दर .........

Comment by coontee mukerji on July 18, 2013 at 12:09pm

  

अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना 

अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है..........

बहुत चोट खाये है जमाने से....

.सादर

कुंती

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 18, 2013 at 11:27am

आदरणीय अजय शर्मा सर प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें किन्तु रचना आपसे समय और कसावट की मांग कर रही है.

Comment by Parveen Malik on July 18, 2013 at 10:11am

अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना 

अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है

सही बात आदरणीय .... बहुत बढ़िया बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service