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तू तो वह पल है
जिसे मैंने पाला है
जिसको मैंने जिया है
जिसने मुझे रुलाया
और
हँसाया भी है
मुझे, तुमसे मिलाया भी है
और मुझको, मुझसे भी मिलाया है
पद दिया
मान दिया
सम्मान दिया
कभी अर्श पे
कभी फर्श पे
बैठाया ....
मगर पल का क्या
पल की आदत है
बीत जाना
तो वो पल था
जो छोड़ गया
ये पल है
कल ये भी न होगा
पल का क्या
पल की तो आदत है
बीत जाना ....

"मालिक व अप्रकाशित "

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Comment

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Comment by Amod Kumar Srivastava on July 11, 2013 at 7:50am

आदरणीय रविकर जी, प्रज्ञा जी, गीतिका वेदिका जी एवं जितेंद्र पस्तरीया जी  सादर धन्यवाद ..... उत्साहवर्धन के लिए.... 

Comment by रविकर on July 10, 2013 at 11:20am

पल पल पलड़ा पलटता, पलटे पल पलवाल |
बहुत सुन्दर है भाई जी-
सादर

Comment by Pragya Srivastava on July 9, 2013 at 4:46pm

पल की खबर नही पल का पता नही सचमुच पल भर में बदल जाती हैं जिंदगीयाँ

                                                                                                        आदरणीय आमोद जी बधाई

Comment by वेदिका on July 8, 2013 at 4:40am

बहुत सही, न जाने कौन सा पल, पल भर  में ही न जाने क्या से क्या हो जाता है, पल भर का तमाशा ही तो है सब!

बधाई स्वीकारे आदरणीय आमोद जी!  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 8, 2013 at 1:01am
""तूतो वहपलहै जिसेमैंनेपाला है जिसको मैंनेजिया है जिसनेमुझेरुलाया और हँसाया भी है मुझे, तुमसे मिलाया भी है और मुझको, मुझसे भी मिलाया है""...बहुत ही सुंदर, भावनात्मक रचना प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई ...आदरणीय ..अमोद जी

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