For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिखर को छूने की चाहत में

जमीन को भूल गया हूँ 

झूठ को जीते जीते 

सच को भूल गया हूँ... 

खुद्दार हैं वो जो 

मर के भी जीते हैं 

बेबसी हमारी हम 

जी के भी मरते हैं 

सच है चराग जलाने से 

अंधेरा मिटेगा 

मगर वो आचरण कहाँ से आए 

जिससे पाप मिटेगा .... 

कतरा कतरा जमा करो 

समंदर बनेगा 

अपना हृदय विशाल करो

जिसमे वो बहेगा ....

आंखे बंद करने से  अंधेरा 

होगा रात नहीं होती 

भगवान के घर देर है 

अंधेर नहीं होती .... 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 366

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on July 11, 2013 at 9:49pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय प्राची जी, लक्ष्मण जी, सौरभ पांडे जी एवं श्याम नारायण वर्मा  जी .... उत्साह वर्धन के लिए.... आशा करता  हूँ कि आपका आशीर्वचन  बना रहेगा .... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 11, 2013 at 7:11pm

प्रखर सशक्त कथ्य समृद्ध अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई आ० आमोद श्रीवास्तव जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 11, 2013 at 6:33pm

खुद्दार हैं वो जो 

मर के भी जीते हैं 

बेबसी हमारी हम 

जी के भी मरते हैं --वाह ! बहुत खूब कहा है 

आंखे बंद करने से  अंधेरा 

होगा रात नहीं होती 

भगवान के घर देर है 

अंधेर नहीं होती ..--------बिलकुल यथार्थ कहा है | पूरी रचना ही बहुत सुन्दर | हार्दिक बधाई भाई आमोद जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 11, 2013 at 5:43pm

भाई आमोद जी, आपकी प्रस्तुत रचना का तथ्य गंभीर तथा सनातन है. बधाई स्वीकारें

आपकी अन्य रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी.

शुभम्

Comment by Shyam Narain Verma on July 11, 2013 at 11:00am

बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
27 seconds ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service