For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pragya Srivastava
Share on Facebook MySpace

Pragya Srivastava's Friends

  • Krishan Kumar Garg
  • D P Mathur
  • SAURABH SRIVASTAVA
  • भावना तिवारी
  • aman kumar
  • Dr.Prachi Singh
  • asha pandey ojha
 

Pragya Srivastava's Page

Pragya Srivastava's Blog

सिसकियाँ भरते रहे हम रात भर

सिसकियाँ भरते रहे हम रात भर

चाँद ने भी देखा पर कुछ ना कहा

हवाएँ भी सुनकर चलती रही

दर्द सीने में लहरों सा उठता रहा

चाँदनी बादलों में छुपने लगी

सांस भी रह-रह कर रूकने लगी

सिर्फ बची मैं और मेरी तन्हाईयाँ

यादें करती रही पीछा बनकर परछाइयाँ

घटाओं ने समझा दर्द बस मेरा

बरसती रही वो रात भर

जख्म रिस-रिस कर ऐसे बहने लगे

घाव मरहम की ख्वाहिश में सहने लगे

पिघलकर रूह बिछने लगी

साया भी खुद से सहमने लगा

लौ जलती रही मगर तेल कम था

एक…

Continue

Posted on June 18, 2014 at 5:30pm — 9 Comments

माँ

तेरी गोद में सोकर
कितना सकून मिलता है माँ
प्यार भरा हाथ सहलाती हो जब
दर्द ना जाने कहाँ हो जाता है गुम
तुम हो मेरे पास तो मुझे लगता नही डर
तेरी ममता की छांव मिलती रहे मुझे
मेरी तो बस है इतनी सी तमन्ना

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on May 10, 2014 at 7:32pm — 5 Comments

कैसे भूलाऐ जा पाऐगे

बचपन की वो सुन्दर यादें

गांव की मिट्टी,पेड़ों के झूले

कैसे भूलाए जा पाऐगे

रोना,हसना,और मचलना

गिरना,गिरकर फिर से संभलना

कैसे भूलाए जा पाऐगे

पगडन्डी पर दौड़ लगना

खुली हवा से बातें करना

कैसे भूलाए जा पाऐगे

तितली,बन्दर और गिलहरी

मोदक,मक्खन और जलेबी

कैसे भूलाए जा पाऐगेम

माँ की रोटी,दादी की कहानी

छुटपन की सहेली मीना,रानी

कैसे भूलाऐ जा पाऐगे

बाबू जी का डान्ट लगाना

और प्यार से गोद उठाना

कैसे भूलाऐ जा पाऐगे

सावन के… Continue

Posted on April 14, 2014 at 1:27pm — 12 Comments

मेरी माँ

मेरी माँ है सबसे सुन्दर
फूल सरीखी माँ
श्रृद्धा ,त्याग ,तपस्या की
मूरत मेरी माँ
चन्दन और कुमकुम सी
लगती मेरी माँ
बाधाओं से कभी न हारे
ऐसी मेरी माँ
पूजा की घन्टी सी हरदम
बजती मेरी माँ
गीता,वेद,पुराणों में भी
मिलती मेरी माँ
मौलिक व अप्रकाशित

Posted on April 11, 2014 at 11:51pm — 10 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 5:51pm on June 17, 2013, D P Mathur said…

आदरणीया प्रज्ञा जी कविता पसंद करने के लिए शुक्रिया !

At 7:42am on June 12, 2013, D P Mathur said…

आदरणीया प्रज्ञा जी आपका आभार । डी पी माथुर 

Profile Information

Gender
Female
City State
Jaipur , Rajasthan
Native Place
Jaipur
Profession
Teacher
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service