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सभी के दिल मे बसना चाहता है

लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है
मेरी मानिंद जलना चाहता है

लगा के हौसलों के पर युवा अब
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है

फलक में जा भुला बैठा जो सबको
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है

सहारे की ज़रूरत है उसे क्या
जो गिर के अब सँभलना चाहता है

बना हमदाद दुनिया में वही जो
सभी के दिल मे बसना चाहता है

संदीप पटेल "दीप"

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 8:42am

वाह! सुन्दर गजल भाई संदीप जी बहुत बहुत बधाई लें.

Comment by Abhinav Arun on April 20, 2013 at 8:58am

बना हमदाद दुनिया में वही जो 
सभी के दिल मे बसना चाहता है

क्या कहने  श्री संदीप जी , इस शानदार ख़याल और उसकी सफल सशक्त बयानी के लिए हार्दिक बधाई !!
Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on April 19, 2013 at 11:41am

लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है 
मेरी मानिंद जलना चाहता है...भाई पत्थर इश्क़ किससे करेगा?? आप जलोगे तो आपका नुकसान होगा लेकिन पत्थर का क्या होगा जल के भला वो कैसे जलेगा॥?/

लगा के हौसलों के पर युवा अब 
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है...बड़ी ऊंची फिक्र है सानी मिसरे को एक बार फिर से देख लें ॥बढ़िया 

फलक में जा भुला बैठा जो सबको 
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है..............ये तो वही जाने की क्यूँ उतरना चाहता है...अच्छा है 

सहारे की ज़रूरत है उसे क्या 
जो गिर के अब सँभलना चाहता है.......अच्छा शेर हुआ है...दाद कुबूल हो 

बना हमदाद दुनिया में वही जो 
सभी के दिल मे बसना चाहता है...बेशक ! लाजवाब 

संदीप भाई बहुत बहुत दाद कुबूल करें !!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2013 at 10:58pm

आदरणीय संदीप कुमार पटेलजी, ’फलक में जा भुला बैठा जो सबको
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है’ अतिसुन्दर। हार्दिक बधाई स्वीकारे। सादर,

Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 8:26pm

बढ़िया संदीप जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 18, 2013 at 6:35pm

बहुत सुन्दर गज़ल प्रिय संदीप जी 

लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है ...... बहुत सुन्दर पंक्ति , बहुत पसंद आया यह शेर 
मेरी मानिंद जलना चाहता है

लगा के हौसलों के पर युवा अब 
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है.................... वाह युवाओं के इस जोश हौसले के सामने बड़ी से बड़ी उड़ान सहज है 

सुन्दर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 18, 2013 at 5:18pm

वाह वाह, सभी शेर अच्छे लगें, बढ़िया ग़ज़ल कही है संदीप जी, बधाई स्वीकार करें ।

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