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दुखी सभी हैं यहाँ अपने अपने सुख के लिए..

तेरे लिए तो न कोई भी रोने वाला है ..

हजारों लोग इधर से गुज़र गए फिर भी ...

ये सिलसिला न कभी बंद होने वाला है..

ये बाग़ सबका है या सिर्फ चंद लोगों का ...

ये फैसला तो बहुत जल्द ही होने वाला है..

जिसे हवाओं के रुख का न हो अंदाज़ा ...

वो शख्स जान लो कश्ती डुबोने वाला है.....

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 12, 2013 at 8:01am

ये बाग़ सबका है या सिर्फ चंद लोगों का ...

ये फैसला तो बहुत जल्द ही होने वाला है.........सही है और सभी को इन्तजार भी है.

 

Comment by ram shiromani pathak on April 9, 2013 at 7:37pm

बहोत ही सुन्दर  रचना !!!!

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