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ग़ज़ल - हम तलक ही रहे !!!

राज की बात हम तलक ही रहे
ये मुलाक़ात हम तलक ही रहे ।

कुछ सवालात पूछ बैठे हम
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।

उनके इल्ज़ाम सब थे झूठे मगर
मेरे इस्बात हम तलक ही रहे ।

डर है तुझको बहा न ले जाये
ऐसी बरसात हम तलक ही रहे ।

इन सितारों को बाँट ले दुनिया
चाँदनी रात हम तलक ही रहे ।

(इस्बात - प्रमाण/सुबूत)

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Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 8:06pm

आदरणीय सौरभ सर.. प्रणाम..
मिसरों का वजन  २१२२  १२१२  ११२/२२  लिया है |

Comment by Rekha Joshi on February 18, 2013 at 8:00pm

कुछ सवालात पूछ बैठे हम 
कुछ सवालात हम तलक ही रहे ।,बहुत खूब आशीष जी ,बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 18, 2013 at 7:59pm

आशीषजी, आपके कई शेर भावों के लिहाज से बहुत सधे हुए हैं.  मुबारकबाद .. .

आपने मिसरों के बह्र का वज़्न क्या लिया है ?

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 7:55pm

शुक्रिया आरती जी एवं पाठक जी....

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 7:54pm

वाह वाह भाई ............अच्छा प्रयास हुआ है .............

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 7:53pm

शुक्रिया आ. अभिनव जी....

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 7:52pm

परवीन जी 'तलक' का अर्थ है तक/Till.....

(बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी – कफील अज़र)

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 7:41pm

शुक्रिया नादिर जी

Comment by ram shiromani pathak on February 18, 2013 at 5:52pm

.बहुत सुन्दर ग़ज़ल ..बधाई स्वीकारें 

Comment by Aarti Sharma on February 18, 2013 at 4:40pm

नमस्कार सलिल जी...बहुत सुन्दर ग़ज़ल ..बधाई स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

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