For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भेडियों के राज में शेरों की हस्ती देखिये

==========ग़ज़ल===========

भेडियों के राज में शेरों की हस्ती देखिये
फिर रहे डंडा दिखाते सरपरस्ती देखिये

राजधानी में लगी यूँ आग गर्मी आ गयी 
हो रही सड़कों में अब पानी से मस्ती देखिये 

वो बुरा कहते नहीं सुनते नहीं देखें नहीं
खामखा ही हो रही बदनाम बस्ती देखिये

कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये

चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये 

संदीप पटेल "दीप"

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on December 28, 2012 at 1:59am

वो बुरा कहते नहीं सुनते नहीं देखें नहीं
खामखा ही हो रही बदनाम बस्ती देखिये

वाह संदीप भाई
जिंदाबाद जिंदाबाद


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 8:57pm

चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने 
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये  ----इस शेर ने सब कुछ कह दिया ,इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 25, 2012 at 10:38am

वाह वाह, सभी शेर जिंदाबाद , सामयिक हालत पर बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल कही है भाई, दाद कुबूल करें |

एक बार मकता फिर से देख लें ...

चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये 

Comment by ajay sharma on December 24, 2012 at 11:11pm

भेडियों के राज में शेरों की हस्ती देखिये 
फिर रहे डंडा दिखाते सरपरस्ती देखिये   theek  thak

राजधानी में लगी यूँ आग गर्मी आ गयी 
हो रही सड़कों में अब पानी से मस्ती देखिये  bahut badia

वो बुरा कहते नहीं सुनते नहीं देखें नहीं 
खामखा ही हो रही बदनाम बस्ती देखिये  achha hai

कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर 
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये  umda

चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने 
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये wah wah wah wah wah wah wah wah 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 24, 2012 at 7:06pm
चल पड़ीं लाशें सभी सरकार से हक़ मांगने 
"दीप" खातिर मुल्क के ये सरपरस्ती देखिये   
बहुत सुन्दर सामयिक सार्थक अभिव्यक्ति के लिए बधाई संदीप भाई -
जलती लाशों पर भी सेक रहे है दलरोटियाँ 
राजनीति में धींगा मस्ती का ये आलम देखिये 
Comment by vijay nikore on December 24, 2012 at 6:09pm

कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये

बिलकुल सही कहा है।

विजय निकोर

Comment by MAHIMA SHREE on December 24, 2012 at 5:58pm

राजधानी में लगी यूँ आग गर्मी आ गयी 
हो रही सड़कों में अब पानी से मस्ती देखिये ..

 

कीमतें यूँ तो बढीं हर चीज़ की वैसे मगर
देश भर में बिक रही है मौत सस्ती देखिये.....

क्या बात है संदीप जी .. वर्तमान परिस्थिति को क्या खूबसूरती से आपने पेश किया //बधाई आपको

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 24, 2012 at 4:35pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई जी  सादर प्रणाम 
आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 24, 2012 at 4:34pm

आदरणीय प्रदीप सर जी  सादर प्रणाम 
मेरी दोनों ग़ज़लों में आपकी दाद पा कर मन और अच्छा करने के लिए उत्साहित हो रहा है
अपना स्नेह यूँ ही अनुज पर बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 24, 2012 at 12:33pm

बहुत खूब सर जी बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
9 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service