For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - आदमी जो बेतुका है

वो अगर  मुझसे खफा है

हक है उसको क्या बुरा है

 

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है

 

जो अपरिचित  है नदी से

बाढ़   पर  वो  बोलता  है

 

है   यकीं   चारागरी   पर

हो  जहर  तो  भी  दवा है

 

देख  कर  मुँह  फेर लेना

कुछ  पुराना   आशना  है

 

टूट  ही  जाना  है  उसको

सच  दिखाता  आइना  है

 

जी  रहा   तुकबंदियों  को 

आदमी   जो   बेतुका   है

 

 

..................... अरुन श्री !

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on July 20, 2012 at 11:08am

गणेश जी बागी सर , सम्मानित महसूस कर रहा हूँ आपकी टिप्पणी पढकर ! आपने गज़ल को पढ़ा ही नही , महसूस भी किया ! धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 20, 2012 at 10:56am

वीनस केसरी सर , आपके Good ने तो Feel Good का एहसास करा दिया !धन्यवाद !
वैसे आपसे सुझावों की भी उम्मीद रहती है !
सादर !

Comment by Arun Sri on July 20, 2012 at 10:53am

आशीष यादव जी , पसंदगी के लिए शुक्रिया आपका !

Comment by Arun Sri on July 20, 2012 at 10:50am

सीमा अग्रवाल मैम , धन्यवाद आपकी सराहना के लिए और शुभकामनाओं के लिए भी !

Comment by Raj Kumar Rohilla on July 20, 2012 at 9:25am

बहुत सुन्दर लिखा है भाई.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 20, 2012 at 9:22am

वाह वाह शानदार अरुण भैया छा गए
क्या शानदार शेर कहे हैं

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है

जो अपरिचित  है नदी से

बाढ़   पर  वो  बोलता  है


दाद पे दाद क़ुबूल कीजिये


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 20, 2012 at 8:56am

//घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है//

अरुण जी, क्या कहूँ , ऐसे अशआर रोज़ रोज़ नहीं निकलते, इस ग़ज़ल की जितनी भी तारीफ़ की जाय कम है, आपकी इस कृति को सलाम | मुबारकवाद कुबूल करें |

Comment by वीनस केसरी on July 20, 2012 at 1:52am

जी  रहा   तुकबंदियों  को 

आदमी   जो   बेतुका   है

 
good

Comment by आशीष यादव on July 20, 2012 at 12:26am

कमाल के शे'र कहे हैं। एक उम्दा गजल है। बदाई स्वीकारें

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 8:04pm

सौरभ पाण्डेय सर , आपकी उपस्थिति ने मन प्रसन्न कर दिया ! आज कल थोडा व्यस्त हूँ क्योकि टैक्स ऑडिट का समय आ रहा है ! इसीलिए निरंतरता नही बन पा रही है ! लिखना भी कम हो गया है इस समय ! हालाँकि भाव कागज पर उतारता रहता हूँ लेकिन बिखरे हुए  टुकड़ों को जोड़कर कविता नही बना पा रहा  हूँ !
गज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया किसी सम्मान से कम नही ! सादर धन्यवाद !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service