For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे शहर की बारिश

मेरे शहर की बारिश
लेकर आती है
ठंडी हवा के झोंकों में लिपटी 
माटी की सोंधी खुशबू 
बेसाख्ता बरसती बूँदें
समेटे प्यार दुलार भरी ठंडक
और तन बदन भिगोती
मन तक भिगो जाती है
लेकिन किसी को ये सब झूठ लगता है
क्यूंकि ये लेकर आती है
घरों की टपकती
छत की टप-टप
तेज़ हवा के झोंको से सरसराहट
दरवाजों पे आहट
बिरह की आग
सखी की याद
धुत्कार भरी तपिश
भिगोती है तन बदन संग मन
बचपन का अल्हड़पन समेटे
मेरे शहर की बारिश

संदीप पटेल "दीप"

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on June 21, 2012 at 3:44pm

sachchai se rubaroo......Deep ji.

Comment by Yogi Saraswat on June 21, 2012 at 3:08pm

दरवाजों पे आहट
बिरह की आग
सखी की याद
धुत्कार भरी तपिश
भिगोती है तन बदन संग मन
बचपन का अल्हड़पन समेटे
मेरे शहर की बारिश

sundar shabd , sandeep ji

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 21, 2012 at 11:17am

aap sabhi kaa hriday se shukriya ...............aadarneey डॉ. सूर्या बाली "सूरज sir ji , @PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA sir ji ..@SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR sir ji @Albela Khatri sir ji ......aadarneeya rajesh kumari ji ..@Rekha Joshi ji .....aap sabhi kaa saadar aabhar ......samyaabhaav se grasit hun abhi main ..........aap sabhi vigy jan mujhe kshma karenge aisee aasha hai

Comment by Albela Khatri on June 21, 2012 at 8:44am

गज़ब है  संदीप जी आपके शहर की  बारिश........
ख़ूब भिगोती  है आपको..........
भीगते रहिये
और ऐसे ही  सृजन करते रहिये,,,,,,,,,
__सादर !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 20, 2012 at 8:55pm
प्रिय संदीप 'दीप' जी बारिस के बिभिन्न रूप रंगों को आप ने दिखाया ...अच्छा लगा ..एक ही सिक्के के अलग पहलू हैं हर मन में ये बारिस अपना अलग प्रभाव छोड़ ..कभी जलाती है कभी शीतल ....सुन्दर 
भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on June 20, 2012 at 7:42pm

वाह संदीप जी ,क्या कविता लिखी है ,बहुत खूब ,बहुत बहुत बधाई 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 20, 2012 at 1:42pm

आपके शहर  का मौसम कुछ अजीज है 

आपका ये भाव हर दिल अजीज है 

है तपन यहाँ मगर मगन संदीप है 

खुश है प्रदीप बारिश का मौसम करीब है.

बधाई. 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 20, 2012 at 1:13pm

अच्छी कविता संदीप भाई !! बधाई हो !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 20, 2012 at 11:46am

बहुत सुन्दर भावों को संजोया है रचना में 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service