For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ऐसे थम थम के जो चलोगी क़यामत होगी

तेरी चाहत में डूब रब की इबादत होगी
मेरे इस दिल पे अगर तेरी इनायत होगी

तेरे क़दमों की आहटों पे मिटे बैठे हैं
ऐसे थम थम के जो चलोगी क़यामत होगी

मेरा वादा है याद मेरी तुझे आयेगी
रोने गाने के बाद मुझसे मुहब्बत होगी

मेरी आँखों को काश पढना तुझे भी आता
हाले दिल मैंने जो कहा तो अदावत होगी

मैंने तो माँगा है उसे ही "दीप" हर दर में
मेरी चाहत औ दुआ से वो सलामत होगी


संदीप कुमार पटेल "दीप"









Views: 407

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Singh on May 31, 2012 at 3:22pm

nice one ...... sandeep ji

Comment by आशीष यादव on May 26, 2012 at 10:26am

शानदार शेर,
मनोभावों का सुन्दर वर्णन। प्रत्येक शेर शानदार है।
बधाई

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 25, 2012 at 11:36pm

तेरे क़दमों की आहटों पे मिटे बैठे हैं 
ऐसे थम थम के जो चलोगी क़यामत होगी 

मैंने तो माँगा है उसे ही "दीप" हर दर में 
मेरी चाहत औ दुआ से वो सलामत होगी 

सुन्दर ...संदीप जी हाँ वो सलामत रहे तो आप और सब प्रेमी भी ..उनको हमारी दुआ लग जाए ....भ्रमर ५ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 25, 2012 at 1:27pm

खूबसूरत ग़ज़ल 

Comment by Yogi Saraswat on May 25, 2012 at 11:59am

मेरा वादा है याद मेरी तुझे आयेगी
रोने गाने के बाद मुझसे मुहब्बत होगी

खूबसूरत  अल्फाज़ !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 24, 2012 at 7:29pm

मैंने तो माँगा है उसे ही "दीप" हर दर में
मेरी चाहत औ दुआ से वो सलामत होगी

खुबसूरत मकता, सभी अशआर सुन्दर लगे , दाद कुबूल करें |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 24, 2012 at 6:38pm

तेरे क़दमों की आहटों पे मिटे बैठे हैं 
ऐसे थम थम के जो चलोगी क़यामत होगी 

bahi sandip ji kayamat ho gayi. bahut jandar ,badhai 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
15 hours ago
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service