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क्या जलना नहीं आता..?

क्या जलना नहीं आता..?

जो लिखना चाहता था
वो चाहकर लिख न पाया
जो लिखता रहता हूँ
वो दिल को कहाँ भाता
यह मेरी मजबूरी है
उन्हें रुसवा नहीं कर सकता
सारी दुनियां यह समझती है
मुझे लिखना नहीं आता
हमनें खुद को जलाकर
रौशन की उनकी दुनियाँ
मैं दीपक 'कुल्लुवी' हूँ
क्या जलना नहीं आता...?

दीपक कुल्लुवी
०४/०१/१२
9350078399

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Comment

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on February 4, 2012 at 9:50am
आशुतोष जी अब दर्द की क्या कहें......

न जाने कौन से ग़म का रिश्ता निभाते हैं यह चिराग

रहता हूँ जब तक होश में जलते हैं मेरे साथ 
कुल्लुवी 
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on January 7, 2012 at 2:58pm

tuhada ashirvaad haiga yugraj ji


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2012 at 2:37pm

दीपक अगर जलेगा तभी तो रौशनी होगी. इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद स्वीकार करें.

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on January 7, 2012 at 11:54am

shukriya Nazeel sahib........

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on January 7, 2012 at 11:53am

बागी जी आप कहते हैं हम बढ़िया लिखते हैं लेकिन दुनियां कहती है कलम से तीर मारते हो......  खैर शुक्रिया जनाव

Comment by Nazeel on January 7, 2012 at 11:45am

बहुत बढ़िया रचना  दीपक साहब ..... हार्दिक बधाई स्वीकारे....:)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 7, 2012 at 11:22am
वाह वाह , दीपक साहब, कौन कहता कि लिखना नहीं आता , बढ़िया जलते है आप, मेरा मतलब बढ़िया लिखते है आप , आगे भी आपकी रचनाएँ और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचारों का स्वागत रहेगा |
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on January 4, 2012 at 4:17pm

अरुण जी यह आपकी हौंसला हफ्जाई और अच्छा  लिखने को प्रेरित करती रहेगी धन्यवाद...

Comment by Abhinav Arun on January 4, 2012 at 4:11pm
वाह क्या खूब बहुत सुन्दर परिचयात्मक रचना बधाई आपको !!

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