For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तज़मीन बर ग़ज़ल उस्ताद-ए-मोहतरम समर कबीर साहिब

221-1221-1221-122

हालाँकि किया आपने इज़हार नहीं है
ये बात समझना कोई दुश्वार नहीं है
अब छोड़िए इज़हार भी दरकार नहीं है
"ख़ामोश है लब पर कोई तकरार नहीं है
मैं जान गया हूँ तुझे इंकार नहीं है"


ये बात अलग है कि दिल-ओ-जान से चाहूँ
पाने को तुम्हें जान मैं क्या कुछ नहीं कर दूँ
ये भी है हक़ीक़त कि कभी होगा नहीं यूँ
"मैं बेच के ग़ैरत को तेरा प्यार ख़रीदूँ
इस बात पे राज़ी दिल-ए-ख़ुद्दार नहीं है"


भाती है ग़ज़ल सब को, जो भाता हो ग़ज़ल को
जो सीखता हो और सिखाता हो ग़ज़ल को
जो ओढ़ता हो और बिछाता हो ग़ज़ल को
"जो ख़ून-ए-जिगर अपना पिलाता हो ग़ज़ल को
ऐसा तो यहाँ कोई भी फ़ंकार नहीं है"


देखोगे जिधर आपको ऐसा ही लगेगा
मुझ को है ये डर आप को ऐसा ही लगेगा
कुछ तो है कसर आप को ऐसा ही लगेगा
"सब कुछ है मगर आपको ऐसा ही लगेगा
इस मुल्क में जैसे कोई सरकार नहीं है"


'जम्मू' जी दिलों में ही वो रब सोता रहेगा
हाकिम भी इधर नफरतें ही बोता रहेगा
यूँ बोझ जहालत का बशर ढोता रहेगा
"ये खून खराबा तो ''समर" होता रहेगा
तालीम का जब तक कोई मैयार नहीं है"

           (मौलिक  व अप्रकाशित )

              (गुरप्रीत सिंह जम्मू)

Views: 275

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gurpreet Singh jammu on March 11, 2023 at 10:05am

बहुत शुकिया आदरणीया रचना भाटिया जी। जी जो ग़ज़ल आप ने तज़मीन के लिए चुनी है, बहर वही रहेगी।

Comment by Rachna Bhatia on March 9, 2023 at 10:33am

वाह वाह वाह वाह क्या कहने आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी, बेहतरीन तज़मीन की है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

मैंने यह विधा पहली बार पढ़ी है। आपने कहा रदीफ़ क़ाफ़िया बदल सकते हैं क्या बह्र भी बदल सकते हैं? कृपया बताएँ।सादर।

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 27, 2023 at 6:33pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय समर सर जी। ओ बी ओ पर आपकी पुरानी रचनाएं पढ़ते हुए आपके द्वारा पोस्ट की गईं तज़मीन पढ़ीं तो ख़ुद तज़मीन कहने की प्रेरणा मिली। और इसके लिए आपकी ग़ज़ल से बेहतर क्या विकल्प हो सकता था।तज़मीन आपको अच्छी लगी यह जानकर तसल्ली हुई।

Comment by Samar kabeer on February 26, 2023 at 2:14pm

जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब, नाचीज़ की ग़ज़ल पर आपने अच्छी तज़मीन कही, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I 

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 15, 2023 at 6:56pm

दोस्तो ये मैने आदरणीय समर कबीर जी की ग़ज़ल पर तज़मीन कहने की कोशिश की है। आप कृपया बताएं कि कोशिश कैसी लगी। समर सर के शब्दों में
"तज़मीन"उर्दू शायरी की एक सिन्फ़् है जो आजकल देखने में नहीं आती,आप अपनी पसन्द के किसी शाइर की ग़ज़ल ले लीजिये,सबसे पहले मतला के सानी मिसरे पर तीन मिसरे कहिये उसी भाव में,फिर पहले शैर का ऊला मिसरे पर तीन मिसरे कहिये जो सानी पर चस्पाँ हो रहे हों,ऊला मिसरे पर मिसरा लगाने में रदीफ़ और क़ाफ़िया मज़कूर मिसरे को देखते हुए आप खुद तजवीज़ कर सकते हैं,और फिर इसी तरह मिसरे चस्पाँ करते जाइये,जिस ग़ज़ल की आप ताज़मीन कहें और उसमें मक़्ता है तो आपको भी अपने तीन मिसरों में से किसी एक में अपना तख़ल्लुस का इस्तेमाल करना लाज़मी है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
9 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
16 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
16 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service