For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बरगद गोद ले लिया

ज़मीन पर पड़ा  अवशेष

बरगद का मूल आधार शेष

 

सोचता है आज

कल तक था बरगद विशाल

बरगदी सोच,बरगदी ख्याल

बरगदी मित्र ,मन भी बरगदी

सहयोगी प्रतिद्वंदी बरगदी बरगदी

 

गर्वित निज का उत्कर्ष रहा

शेष की लघुता पर हर्ष रहा

निज तक की जड़ को नहीं ताका

गैर की छांह को कभी  न  लांघा

झुकना न सीखा सूखना न जाना

मनना न सीखा रूठना न जाना

आंधी को थकाया

मेघों को रुलाया

जलते सूरज को छतरी बनाया

 

धरा थरथराई पर बरगद को क्या

अम्बर घरघराया पर बरगद को क्या

बरगद था बरगद बरगद ही रहा

अकडा हुआ ,निज दम्भ में जकड़ा हुआ

 

वक्त कब किसका इक जैसा रहा

बरगद कैसे अछूता रहता

वही बरगद अकडा बरगद कल धराशायी हो गया

विशालता का वजूद खो गया

लक्कड़ हारा विजयी हो गया

 

किसी को कब फर्क पड़ता है

किसी को कोइ फर्क न पड़ा

धरा का चक्का चलता  था  चलता रहा

 

सृष्टि ऐसे ही चलती है आयी  

शबनम तक ने इक  बूँद न बहाई

 छांह साथ छोड़ गयी

पंछी पखेरू उड़ गए

पातों ने रंग बदला

कोमल किसलय झड गए

 

बस एक नन्ही  दूब रही

जो निरपेक्ष न रह पायी

 नन्ही दूब

द्रवित हो गयी  

आँचल फैलाया हाथ बढाया और

बरगद के बाकि को गोद ले लिया

...................

मौलिक एव अप्रकाशित 

Views: 745

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on May 25, 2022 at 8:23pm

आ ०  नाथ सोनांचली जी

आपकी  टिप्पणी के लिए  आभार .मुझे  प्रोत्साहन मिला है .

सादर 

अमिता 

Comment by amita tiwari on May 25, 2022 at 8:20pm

आ०  चेतन प्रकाश जी 

सुप्रभात 

आपकी  टिप्पणी और सुझावों के लिए आभारी हूँ .विश्वास करिये  कि मेरी प्रतिक्रिया सकारात्मक ही है .आपका सम्मान करते हुए ही मैंने और अधिक जिज्ञासा प्रकट की थी .वर्तनी  दोष सुधरने का प्रयास  करूंगी .

साभार 

अमिता 

Comment by नाथ सोनांचली on May 25, 2022 at 12:52pm

आद0 अमिता तिवारी जी सादर अभिवादन। बढ़िया सृजन है। बधाई स्वीकार जी

Comment by Chetan Prakash on May 13, 2022 at 12:12pm

आ.अमिता तिवारी जी, समीक्षक की दृष्टि  से जो औचित्य पूर्ण लगा, मैं कह चुका हूँ। आप उसे  सकारात्मक  ढंग  से लें तो कृपा  होगी, अन्यथा  क्षमा प्रार्थी हूँ । रहा वर्तनी दोष  देखिएगा ,    त्रुटियाँ 1   लक्कड़हारा  2  बाकि  3  आंधी 4 छांह 5 एक नहीं कई  स्थानों पर  आपने ड़ को डाँट ही लिखा  है ।

Comment by amita tiwari on May 12, 2022 at 9:59pm

आ ० कबीर जी 

बहुत बहुत आभार 

अमिता 

Comment by amita tiwari on May 12, 2022 at 9:57pm

आ ०  चेतन प्रकाश जी 

सुप्रभात 

आपकी टिप्पणी के लिए आभार . अनावश्यक तुकांतता यदि कहीं लगी है  तो भी कहना चाहती हूँ कि यह सायास नहीं  है .और यदि भाव प्रवाह कहीं अवरुद्ध  हुआ हो  तो  कृपया  इंगित  करे .  वर्तनी दोष भी बताएं .कृपा  होगी

साभार 

अमिता 

Comment by Chetan Prakash on May 12, 2022 at 8:48am

पुनश्च  : वर्तनी  के दोष भी कमोबेश  दिखाई  देते हैं !

Comment by Chetan Prakash on May 12, 2022 at 8:45am

नमन,  आ. अमिता  तिवारी  जी, और, हाँ शुभ प्रभात  !  माननीया,  अतुकांत  ( छंद मुक्त ) कविता  में भी आपने क्षमा करें, अनावश्यक  तुकांतता  पर आश्रय , भाव के अपेक्षाकृत  अधिक  लेकर  सोच  की गहनता  को प्रभावित किया  है। कहना  न होगा, इससे  एक अच्छी  सोच कविता का सोच और उस का गांभीर्य  कम हुआ है। फिर  भी  प्रस्तुति  अच्छी  ही कही  जाएगी  ! सादर 

Comment by Samar kabeer on May 11, 2022 at 3:52pm

मुहतरमा अमिता जी , सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें I 

Comment by amita tiwari on May 10, 2022 at 10:22pm

आ०  मथानी जी 

आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
9 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service