For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल खुशी तेरे पैरों की चप्पल रही है

मेरी ज़िंदगी ग़म का जंगल रही है 

खुशी तेरे पैरों की चप्पल रही है 

कहीं कोई तो बात है साथ उसके 

कमी बेवफ़ा की बड़ी खल रही है

इसी ग़म का तो बोझ है मेरे जी पे

इसी ग़म से तो शायरी फल रही है

उमीदें, वफ़ायें, मुहब्बत, भरोसा

सभी ख़त्म हैं, आरजू पल रही है 

मैं इस ज़िंदगी को कहूँ तो कहूँ क्या 

जुदा है मुहब्बत से और चल रही है 

परेशान हूँ उस सनम के लिए मैं 

वही जो मुझे प्यार से छल रही है 

मेरा ज़िस्म है मोम का एक पुतला 

बहुत तेज़ है आग जो जल रही है 

गिरावट है हर शय में मेरी मुसलसल

मगर तेरी चाहत नहीं ढ़ल रही है 

है मुमकिन बहुत शाम तक लौट आये 

सुना है वो थोड़ी सी चंचल रही है

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

 

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 3, 2021 at 6:50am

आ. भाई अनिल जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। गुणीजनों के विचारों का संज्ञान लेकर इसे और बेहतर बना सकते हैं । फिलहाल बधाई स्वीकारें।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 30, 2021 at 10:09pm

 आपके सतत प्रयास और अभ्यास के लिए हार्दिक बधाई, भाई राहुल डांगी पांचाल जी.

ग़ज़ल और समय चाहती तो है लेकिन पृष्ठभूमि की तुष्टि के साथ. नुख्ता पर पटल के दो विद्वानों ने अपनी राय रखी है. भाषायी तौर पर मैं बहुत प्रभावित नहीं होता. श्रद्धेय बुद्धिनाथ शर्मा की राय मानें तो या तो नुख़्ते को लेकर या तो पूरी तरह सजग हो जायँ, या, त्राण पा लें. आधी-अधूरी जानकारी और तदनुरूप प्रयोग आधा तीतर, आधा बटेर का परिणाम ही देंगे. जैसे, आपने ज़िंदगी तो लिखा, लेकिन उस हिसाब से ज़िंदग़ी सही शब्द है. 

आगै, आपकी रुचि और उसके अनुसार प्रयास.

जय-जय

Comment by Samar kabeer on September 27, 2021 at 4:10pm

जनाब राहुल डांगी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'कहीं कोई तो बात है साथ उसके'

इस मिसरे पर जनाब अमीरुद्दीन जी से सहमत हूँ ।

नुक़्तों के बारे में भी उनकी बातों पर ध्यान दें ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 23, 2021 at 8:56pm

जनाब राहुल दांगी पांचाल जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। चन्द अशआर ग़ज़लियत के ऐतबार से बदलाव के हामिल हैं -

'कहीं कोई तो बात है साथ उसके - यार उसमें 

 कमी बेवफ़ा की बड़ी खल रही है' 

'परेशान हूँ उस सनम के लिए मैं  -  सनम शब्द पुल्लिंग है हालांकि यह मर्द और औरत दोनों के लिए इस्तेमाल होता है, जैसे शब्द- महबूब

वही जो मुझे प्यार से छल रही है'    'सनम' की वज्ह से रदीफ़ से इन्साफ़ नहीं हो रहा है, यहाँ 'सनम' की जगह 'बला' कर सकते हैं। 

भाषा की शुद्धता के लिए ख़ुशी और आरज़ू शब्दों पर नुक़्ता लगा लें और जिस्म और ढल शब्दों से नुक़्ता हटा लें।  सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
41 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
44 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
52 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
52 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
53 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
54 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
56 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
58 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service