विचार में प्रवाह हो स्वभाव में उजास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो
प्रभात धूप हो खिली समीर मस्त हो बहे
अनन्त हर्ष को लिए सुवास भाव भी रहे
कपाट बंद खोल के धरे नवीन ज्ञान को
समर्थ अर्थ में रखे सदैव स्वाभिमान को
रहे कहीं न दीनता सदा यही प्रयास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो।।१
विकार काम क्रोध मोह लोभ क्षोभ त्याग दे
कुमार्ग पे चले नहीं विनाश का न राग दें
कहीं दिखे अधर्म तो अधर्म देह चीर दें
समाज के लिए मरें समाज को न पीर दें
कुपथ्य का विनाश हो सुुुपथ्य का विकास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो।।२
सदैव कर्म धर्म से हितार्थ देश काम हो
मनुष्य बीच प्रेम का विशेष एक धाम हो
रहे समान हाव-भाव आदि और अंत में
प्रबुध्द शुध्द बोल हो समस्त दिग्दिगन्त में
समस्त राष्ट्र एक है कि भावना विकास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो।।३
अनादि सत्य ज्ञान को सदैव लेखनी लिखे
धरा प्रणम्य देश भक्ति भावना भरी दिखे
प्रवाह वेग क्रोध में विराट रूप जो धरें
प्रचण्ड तप्त दग्ध से पहाड़ अम्बु भी डरें
अजेय दुर्ग तोड़ दें अपार शक्ति पास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो।।४
न हौसलें परास्त हों डरें नहीं झुकें नहीं
अराति सामने तथापि मंजिलें रुकें नहीं
विचार हो विमर्श हो मशाल क्रांतिमान हो
बढ़े चलें ध्वजा लिए अखण्ड राष्ट्र-गान हो
हँसी-खुशी रहे यहाँ न जीवता उदास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो ।।५
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आद0 सौरभ पांडेय जी सादर प्रणाम
रचना पर आपकी उपस्थिति मुझे नई ऊर्जा दे रही है। आपकी बातों को गहराई से आत्मसात कर रहा हूँ। कोशिश होगी कि आगे से आधुनिकता का पुट भी रखूँ। हृदयतल से आभार आपका
आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। पञ्चचामर छ्न्द पर आपकी उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार
इस छंद का विन्यास भले ही क्लिष्ट हो इसकी गति अत्यंत प्रवाहमय होती है. छांदसिक रचना-कर्म के अलावे कवि वाचिक विन्यास में इस छंद में रचनाक्र्म करते हैं जिसका अभ्यास तुलनात्मक रूप से सरल है.
आदरणीय कुशक्षत्रप जी, आपने नववर्ष का आवाहन करते हुए एक समर्थ प्रयास किया है. यह अवश्य है कि आपने प्रस्तुति में सनातन भावों को प्रश्रय दिया है, किन्तु साथ ही आज के संदर्भ को भी विकसित करना श्रेयस्कर होता.
बहुत खूब तथा बधाइयाँ
शुभातिशुभ
हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।बेहतरीन छंद।
आद0 अमीरुद्दीन अमीर जी सादर अभिवादन
पञ्चचामर छ्न्द आधारित इस गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार
आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन
पञ्चचामर छ्न्द आधारित इस गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार
आद0 दण्डपाणि नाहक जी सादर अभिवादन। पञ्चचामर छ्न्द आधारित गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, सुंदर गीत की रचना की गई है, बधाई स्वीकार करें। सादर।
आ. भाई सुरेंद्रनाथ जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है । हार्दिक बधाई।
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम।
रचना पर आपकी गरिमामयी उपस्थिति और आशीर्वाद के लिए कोटि कोटि आभार।
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