विधि का विधान,निभाने चली।
आज मेरी लाड़ो,पिया घर चली।।
बाबुल के आंगन को, सूना कर चली।
वो ममता के आंचल को, छोड़ के चली।।
विधि का विधान _
वो भाई बहिन के,अनकहे प्यार का।
दिल में समंदर, बसा के चली।।
विधि का विधान_
वो बचपन की सखियां,वो गुड्डे और गुडियां।
मायके की देहरी ,सब छोड़ के चली।।
विधि का विधान_
वो बचपन की रातें,मीठी मीठी यादें।
यादों को जीवन का ,सहारा कर चली ।।
विधि का विधान_
नीता तायल
"मौलिक और अप्रकाशित"
Comment
मुहतरमा नीता जी आदाब, अच्छी कविता लिखी आपने , बधाई स्वीकार करें ।
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