For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2×15

बीच सफर में धीरज टूटा,हाथों से पतवार गई.
मेरे मन की लाचारी से मेरी कोशिश हार गई.

एक अधूरा ख्वाब जो मुद्दत से आंखों में जिंदा है,
उसको लिखने की कोशिश में स्याही भी बेकार गई.

पिछले साल में और कोई था अब के साल में और कोई,
एक नए इजहार को चाहत फूलों के बाजार गई.

बरसों पहले जिसको चाहा उसकी यादें साथ रहें,
एक दुआ के आगे मेरी हर इक ख्वाहिश हार गई.

पापा की आंखों ने उसको जाने क्या क्या समझाया,
बेटी जब कालेज की खातिर घर से पहली बार गई.

जिस घर की तामीर में हमने सारा जीवन खपा दिया,
उस घर की सारी बातें अब दीवारों के पार गई.

आने वाला कल कैसा हो एक ढकी सी बात है ये,
आज मगर तकदीर के आगे सब तदबीरें हार गई.

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2020 at 11:13am

आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है , हार्दिक बधाई ।

'बेटी जब कालेज में पढ़ने' कर लीजिएगा ...सादर

Comment by मनोज अहसास on February 14, 2020 at 4:59pm

आदरणीय रवि भसीन शाहिद जी बहुत-बहुत शुक्रिया मेरे दिमाग में भी यह बात थी और कई लोगों ने भी सुझाव दिया आपका सुझाव उत्तम है मुझ को स्वीकार करता हूं

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on February 14, 2020 at 4:22pm

आदरणीय मनोज भाई, आपको इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई। ख़ास तौर से मुझे आपका ये शेर बहुत अच्छा लगा:
पापा की आंखों ने उसको जाने क्या क्या समझाया
बेटी जब कालेज की खातिर घर से पहली बार गई
एक सुझाव देना चाहूँगा कि "कालेज की ख़ातिर" की जगह "कालेज पढ़ने को" लगा कर देखियेगा।

Comment by मनोज अहसास on February 12, 2020 at 9:57pm

बेहद ध्यान से गज़ल पढ़कर आपने इस्लाह की है बेहदशुक्रगुज़ार हूँ

इन कमियों को दूर करने का प्रयास करूंगा

हार्दिक आभार

Comment by Samar kabeer on February 12, 2020 at 3:23pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'उस घर की सारी बातें अब दीवारों के पार गई'

इस मिसरे में रदीफ़ बदल कर "गईं" हो रही है,ग़ौर करें ।

'आज मगर तकदीर के आगे सब तदबीरें हार गई'

इस मिसरे में रदीफ़ बदल कर "गईं" हो रही है,ग़ौर करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बढ़िया सुझाव ............ सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"वाह "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"वाह ...................... बढ़िया सुझाव ..................... सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बढ़िया सुझाव .... सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बहुत बढ़िया सुझाव  धन्यवाद अमित जी "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बहुत बढ़िया सुझाव "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय नादिर खान जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...... हार्दिक बधाई ..... सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय तिलक राज कपूर सर, आज आपकी ग़ज़ल का लुत्फ़ ले रहा हूँ. विस्तृत चर्चा कल ...... सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीया ऋचा यादव जी, इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय जैफ जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. वरिष्ठ जनों के  सुझाओं पर ध्यानकर्षण निवेदित…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय दयाराम जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार ... सादर "
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service