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विदाई से पहले : 4 क्षणिकाएं

विदाई से पहले : 4 क्षणिकाएं

क्या संभव है
अनंतता को प्राप्त करना
महाशून्य की संख्याओं को
विलग करते हुए

........................................

उड़ने की तमन्नाएँ
आशाओं के बवंडर के साथ
भेदती रही नीलांबर को
अपने कर्णभेदी
अश्रुहीन रुदन से

......................................

मैं चाहता था
तुम्हें चाँद तक पहुंचाना
अपनी बाहों के घेरे में घेरकर
गिर गया स्वप्न
फिसल कर
आँखों के फलक से
हकीकत के फ़र्श पर
फ़ना होने को

..................................

अवगुंठन में तिमिर के
पहन लूँगा तुम्हें
मयंक की तरह
अंतिम विदाई से पहले
तुम्हारे आने से पर

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 444

Comment

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Comment by Sushil Sarna on May 29, 2019 at 4:21pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। 

Comment by narendrasinh chauhan on May 28, 2019 at 6:52pm

खुब सुन्दर क्षणिकाए सर

Comment by Sushil Sarna on May 27, 2019 at 6:51pm

आदरणीय  Pradeep Devisharan Bhattजी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार। 

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on May 27, 2019 at 12:44pm

खुबसुरत कविता हुई।

बधाई स्वीकार करे सुशील जी

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