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क्षणिकाएँ - 3 - डा० विजय शंकर

भला आदमी है वो ,
भला करता है ,
सौदागरों की तरह ।

रहमदिल है वह
दुआ करता है
भिखारियों की तरफ ।

आशीर्वाद देता है वह
चढ़ावा चढ़ जाने के बाद
पुजारी है वह ।

सब कर देगा वह
सब पा लेने के बाद
वादा है उसका ,
नेता है वह ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on November 27, 2014 at 11:34am
आपको क्षणिकाएँ पसन्द आई , आभार , आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 27, 2014 at 11:17am

बहुत खूब, सुन्दर  क्षणिकाएँ डॉ विजय शंकर जी, बधाई स्वीकारें।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 24, 2014 at 5:24pm
आदरणीय डॉo प्राची सिंह जी , आपकी विवेचना सटीक होती है , रचना आपको पसंद आई , अच्छा लगा। उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 24, 2014 at 5:21pm
उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 24, 2014 at 5:19pm
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 24, 2014 at 11:43am

आ० विजय शंकर जी 

अन्तर्निहित स्वार्थ भाव से बाह्य परमार्थ साधने वाली इकाइयों पर सुन्दर क्षणिका प्रयास 

हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 24, 2014 at 11:13am

आदरणीय भाई विजय शंकर जी इन बेहतरीन क्षणिकाओं के लिए हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on November 24, 2014 at 10:30am
ज़ोरदार व्यंग बधाई आदरणीय
Comment by Dr. Vijai Shanker on November 24, 2014 at 10:05am
धन्यवाद आदरणीय विजय निकोर जी।
Comment by vijay nikore on November 24, 2014 at 9:04am

सुन्दर क्षणिकाएँ....अच्छी लगीं। बधाई।

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