"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर साहेब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |
आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।
Zaif saheb बहुत बहुत शुक्रिया |
बहुत ख़ूब ग़ज़ल, सर जी। सादर।
राखी जैन जी , आपकी आनंदित करने वाली सराहना से मन तृप्त हुआ | सृजन सार्थक हुआ | सादर आभार।
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय
आदरणीय समर कबीर साहेब , ग़ज़ल पर आपकी नज़रसानी और आपकी हौसला बढ़ाती राय के लिए बहुत बहुत आभार | अवश्य इन पर ग़ौर करूँगा |
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।
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