For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Arun Sri's Blog – February 2012 Archive (4)

कंगूरों तक चढूंगा

सुनो राजन !

तुम्हे राजा बनाया है हमीं ने !

और अब हम ही खड़े है

हाथ बांधे

सर झुकाए

सामने अट्टालिकाओं के तुम्हारे !

जिस अटारी पर खड़े हो

सभ्यता की ,

तुम कथित आदर्श बनकर ,

जिन कंगूरों पर

तुम्हारे नाम का झंडा गड़ा है ,

उस महल की नींव देखो !

क्षत-विक्षत लाशें पड़ी है

हम निरीहों के अधूरे ख्वाहिशों की ,

और दीवारें बनी है

ईंट से हैवानियत की !

 

है तेरे संबोधनों में दब…

Continue

Added by Arun Sri on February 25, 2012 at 10:55am — 6 Comments

नई उँगलियाँ

बहुत दुखते हैं

पुराने घाव ,

जब आती हैं

मरहम लगाने

नई उँगलियाँ !

उन्हें नही पता -

कितनी है

जख्म की गहराई ,

क्या होगी

स्पर्श की सीमा !

उनमे नही होती

पुराने हाथों जैसी छुअन !

 

रिसने दो

मेरे घावों को ,

क्योकि बहुत दुखतें हैं

पुराने घाव

जब आती है

मरहम लगाने

नई उँगलियाँ !

 

अब और दर्द सहा न जाएगा…

Continue

Added by Arun Sri on February 23, 2012 at 10:30am — 12 Comments

बिन तुम्हारे मैं अधूरा

अश्रु गण साथी रहे

मेरे ह्रदय की पीर बनकर !

रात चुभ जाती हमेशा तीर बनकर !

मैं भटकता नीर बनकर !

तुम सुनहरे स्वप्न सी हो

मैं नयन हूँ !

बिन तुम्हारे मैं अधूरा

और मेरे बिन तुम्हारा अर्थ कैसा !

जीत की उम्मीद से प्रारंभ होकर

निज अहम के हार तक का ,

प्रथम चितवन से शुरू हो प्यार तक का ,

प्यार से उद्धार तक का

मार्ग हो तुम !

मै पथिक हूँ !

निहित हैं तुझमे सदा से

कर्म मेरे

भाग्य…

Continue

Added by Arun Sri on February 22, 2012 at 1:00pm — 7 Comments

मंजिलें अपनी-अपनी

रास्ते प्यार के अब ह़ो चुके दुश्मन साथी

अब चलो बाँट लें हम मंजिलें अपनी-अपनी

वर्ना ये गर्द उठेगी अभी तूफां बनकर

ख्वाब आँखों के सभी चुभने लगेंगे तुमको

बनके आंसू अभी टपकेंगे तपते रस्ते पर

मगर ये पाँव के छालों को न राहत देंगे !



तपिश तो और अभी और बढ़ेगी साथी

तब भी क्या प्यार में जल पाओगी शमां बनकर ?

पाँव रक्खोगी जब जलते हुए अंगारों  पर

शक्लें आँखों में ही रह जाएंगी धुआं बनकर !



मैं जानता हूँ कि अब कुछ नही होने वाला

वक्त को…

Continue

Added by Arun Sri on February 16, 2012 at 12:05pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service