For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पहले सी मासूमियत

याद आता है
अपना बचपन,
जब  हम उड़ान में रहते थे
बेफिक्री के असमान में रहते थे
दिन गुजरता था बदमाशियों में
पर रात अपने ईमान में रहते थे !
याद आता है,
दिन भर तपते सूरज को चिढाना
आंधियो के पीछे भागना
उनसे आगे निकलने की कोशिश करना
जलती तेज हवाओं से हाथ मिलाना,
और फिर ..............
पता ही नही चला कि
कब माँ की कहानियों की गोद से उठकर
हमारी नींद सपनो के आगोश में चली गई !

दिन से अच्छी थी रातें
हमेशा से
और ईमानदार भी !
इन्ही रातों की
चमकती चांदनी की रेत में लिपटे हुए
अपने आप में खोए
अपने मासूमियत के दायरे में सिमटे हुए
अक्सर ये वादा किया खुद से
की छोड़ेंगे नही,
बचपन की मासूम मुहब्बत को !
उसी चमकती रेत को बताया
अपना पहला सपना,
उसी की हंथेली पर लिखा
अपने पहले प्यार का नाम,
जब खुश हुए
उसी की गोद में किलकारियां भरी,
जब उदास हुए
उसी के सीने से लिपट कर रोए भी !

याद आती है आज
वो माँ की कहानियो से भरी रातें !

 

वो रातें भी,
जो अकेले में
चांदनी से बतियाते हुए खर्च कर दी !
वो अनमोल रातें
चमकती रेत सी रातें
कम से कम चुभती तो नही थी,
सड़को की धूल की तरह
आँखों में !

आज सोचता हूँ अक्सर
कि इन चमचमाती सड़को से भली थी
अपने गाँव कि पगडंडियाँ,
जिन पर चले
कई बार गिरे
और संभल भी गए
कभी हिम्मत नही छूटी !
हर लड़खड़ाहट पर निश्चय किया
"हारेंगे नहीं !"
"टूटेंगे नहीं !"


लेकिन आज हरा दिया
इन सड़को कि रफ़्तार ने,
धीमी पड़ गई सपनो की गति,
भूलने की कगार तक आ पहुंचा
बचपन से किया हर वादा!
बड़ी बड़ी इमारतों से
ढक गया चाँद !
कही खो गई
दिनों के बोझ तले
चांदनी की चमकीली रेत
अब आँखों में नही चमचमाती
अब तो चुभती है
सड़को की धुल !
दिन अब उर्जावान नही रहे ,
बोझिल ह़ो गए !
रातें अब ईमानदार नही रही !
और हममे भी नही रही
पहले सी मासूमियत !!!!

 ……………………………..  अरुन श्री !

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Brij bhushan choubey on January 25, 2012 at 2:22pm

ek khubsurat kvita man ko chhuti hui 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2012 at 12:01am

और हममे भी नही रही
पहले सी मासूमियत

इस रचनापर मेरी बधाई स्वीकर करें, अरुण जी.

Comment by AK Rajput on January 11, 2012 at 6:33pm

बहुत बढ़िया रचना  .बधाई

Comment by AVINASH S BAGDE on January 7, 2012 at 7:12pm

और हममे भी नही रही 
पहले सी मासूमियत !!!!

 ……………………………..  अरुन श्री !....damdar kavy...badhai.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2012 at 2:54pm

इस सुन्दर कविता के लिए बधाई स्वीकार करें अरुण जी.

Comment by AjAy Kumar Bohat on January 7, 2012 at 2:00pm

बहुत बढ़िया रचना  . हार्दिक बधाई स्वीकारे....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 175 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service