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DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU''s Blog (32)

गमख्वार समझा था मक्कार निकला- बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

बैजनाथ शर्मा 'मिंट'

अरकान - 122  122  122  122

गमख्वार समझा था मक्कार निकला|

जो दिखता था सज्जन गुनहगार निकला|

 

जिसे…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 17, 2015 at 11:41pm — 9 Comments

ज़िन्दगी - बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’

अरकान -  212  212  212  212

हो के मुझसे तू ऐसे खफ़ा ज़िन्दगी |

जा बसी है कहाँ तू बता ज़िन्दगी|

 

जग को ठुकरा दिया मैंने तेरे लिए,

कर न पायी तू मुझसे वफ़ा ज़िन्दगी|

 

तेरी सूरत ही थी मेरा दर्पण सदा,

तू मिले फिर सजूँ इक दफा ज़िन्दगी|

 

तू हंसाती भी है और रुलाती भी है,

तू दिखाती है क्या क्या अदा ज़िन्दगी|

 

पहले इतना बता क्या है मेरी ख़ता,

फिर जो चाहे तू देना सज़ा…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 9, 2015 at 10:33pm — 2 Comments

मुझे सच को कभी भी झूठ बतलाना नहीं आता - बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

अरकान -1222  1222  1222   1222

मुझे सच को कभी भी झूठ बतलाना नहीं आता|

तभी तो मेरे घर भी यार नज़राना नही आता|

 

अगर तुम प्यार से कह दो लुटा दूँ जान भी अपनी,…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 2, 2015 at 11:30pm — 14 Comments

धीरे-धीरे.........(बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’)

अरकान - 122 122 122 122

 

किया जिसने दिल में ही घर धीरे-धीरे|

उसी ने रुलाया मगर धीरे –धीरे|

 

उमर  मेरी  गुजरी है यादों में जिनकी ,

हुई आज उनको खबर धीरे –धीरे |

 

जहाँ तक पहुचने की ख्वाहिश है मेरी,

यकीनन मैं पहुंचूंगा पर धीरे –धीरे|

 

बचपन में सरका जवानी में दौड़ा,

बुढापा गया अब ठहर धीरे-धीरे|

 

न शिकवा किसी से न है अब शिकायत,

भरा घाव मेरा मगर धीरे –धीरे|

 

मौलिक व…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 26, 2015 at 8:00pm — 4 Comments

दिन सुनहरा हो गया- बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

अरकान -   2122   2122   2122   212

 

आप आये और मेरा दिन सुनहरा हो गया|

आपको देखा तो मेरा फूल चेहरा हो गया|

  

कुछ समय पहले तलक तो थी हरी यें वादियाँ ,

आपके जाते ही तो हर  सिम्त सहरा हो गया|

क़त्ल का ए सिलसिला क्यों और आगे बढ़ गया,

जब से मेरे गाँव में कुछ सख्त पहरा हो गया |

 

लाख चीखो और चिल्लाओ सुनेगा कौन अब,

हाय पत्थर दिल ज़माना आज बहरा हो गया|

 

जख्म तो बस जख्म था जो भर भी सकता था मगर…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 20, 2015 at 10:00pm — 1 Comment

गीत - कितना तुझको याद किया.( बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’)

श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|

भूल गई मैं सारे जग को, फिर भी तेरा नाम लिया|

यादों में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही गुजार दिया,

श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|

 

देख के तेरी भोली सूरत हम भी धोखा खा ही गए,

मोहन तेरी मीठी-मीठी बातों में हम आ ही गए,

हार गए जीवन में सब फिर भी तेरा नाम लिया

श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|

 

करती हूँ कोशिश मैं मोहन याद हमेशा तुम आओ,

रह नही सकती…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 19, 2015 at 8:30pm — 2 Comments

नया कोई सपना सजाकर तो देखो| -बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’

अरकान -    122      122      122    122  

नया कोई सपना सजाकर तो देखो|

परायों को अपना बनाकर तो देखो

 

लगेगी ए दुनिया तुम्हें खूबसूरत,

ज़रा दिल से नफ़रत भुलाकर तो देखो|

 

सफलता मिलेगी तुम्हें भी यकीनन,

कदम अपने तुम भी बढाकर तो देखो|

 

बहू-बेटियाँ क्यों न पर्दा करेगी,

हया उनको तुम भी सिखाकर तो देखो|

 

करोगे जहां को भी सूरज –सा रोशन,

तुम अपने को पहले तपाकर तो देखो|

 

बनेंगे…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 18, 2015 at 6:30pm — 9 Comments

मेरा पैगाम बाक़ी है|- बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’

अरकान- 1222     1222     1222     1222

                    

 

सुनो सब गौर से वीरों मेरा पैगाम बाक़ी है|

न हारो हौसला अपना अभी तो लाम बाकी है|

 

मैं आकर मैकदे में अब बता कैसे रहूँ प्यासा,

पिला दे जह्र ही साक़ी अभी इक जाम बाक़ी है|

 

जमीं से तोड़कर रिश्ता बहुत आगे निकल आया,

मगर हालत कहते हैं अभी अंजाम बाकी है|

 

गए पकड़े वो सारे जो बहुत मासूम थे यारो,

सही कातिल का लेकिन इक सियासी नाम बाक़ी…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 17, 2015 at 12:00am — 4 Comments

बाकी सब कुछ अच्छा है|---बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

अरकान -   2 2   2 2    2 2   2 2     2 2   2 2   2 2   2    

तेरे बिन घर वन लगता है बाकी सब कुछ अच्छा है|

तुझ बिन बेटे जी डरता है बाकी सब कुछ अच्छा है|

 

माँ तेरी बीमार पड़ी है गुमसुम बहना भी रहती,

भैया का भी हाल बुरा है  बाकी सब कुछ अच्छा है|            

 

दादी तेरी बुढिया हैं  पर चूल्हा-चौका हैं  करती,                                      

कोई न उनका दुख हरता है बाकी सब कुछ अच्छा है|

 

दादा जी पूछा करते…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 13, 2015 at 6:00pm — 8 Comments

न जाने क्यों भला फिर आज उनकी याद आयी है|

अरकान- 1222     1222       1222        1222 

न जाने क्यों भला फिर आज उनकी याद आयी है|

न मिलने की कसम जिनसे हमेशा मैंने खाई है|

मुरव्वत से हैं बेगाने हया तक बेच खाई है,

छूटे गर पिंड ऐसों से इसी में ही भलाई है|

तुम्हारी याद हावी है मेरे दिल पर उसी दिन से,

हुई खुशियाँ मेरी रुखसत दुखों से ही सगाई है|

समझकर देवता पत्थर को घर में ला बिठाया है,

इमारत दिल की यूँ अफसोस क्यों मैंने सजाई है|

जो मारा पीठ पर…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 9, 2015 at 8:00pm — 1 Comment

ग़ज़ल--( माँ) बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

अरकान-    212  212   212  212

 

दर्द सीने में अक्सर छुपाती है माँ|

तब कहीं जाकर फिर मुस्कुराती है माँ|

 

ख़ुद न सोने की चिंता वो करती  मगर,

लोरियां गा के हमको सुलाती है माँ|

 

रूठ जाते हैं हम जो कहीं माँ से तो,

नाज-नखरे हमारे उठाती है माँ|

 

लाख काँटे हों जीवन में उसके मगर,

फूल बच्चों पे अपनी लुटाती है माँ|

 

माँ क्या होती है  पूछो यतीमों से तुम,

रात-दिन उनके सपनों में आती है…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on October 26, 2015 at 10:30pm — 7 Comments

ग़ज़ल

महकती ज़िन्दगी हो फिर शिकायत कौन करता है

बिना कारण ही मरने की हिमाकत कौन करता है

 

तुम्हारी  आँखों में सूखे हुए कुछ फूल देखे थे

तड़पकर माज़ी से इतनी मुहब्बत कौन करता है

 

बड़े काबिल हो तुम लेकिन तुम्हारी जेब है खाली,

भला ऐसों से भी यारा मुहब्बत कौन करता है|

 

कड़कती धूप भी सहते कभी बरसात ठंडी भी,

खुदा ऐसों पे तेरे बिन इनायत कौन करता है|

 

न पूजेगा कोई तुमको खुदा गर सामने आया ,

बिना डर और लालच के इवादत कौन…

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Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on October 24, 2015 at 1:30pm — 6 Comments

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