For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Deepak Sharma Kuluvi's Blog – September 2012 Archive (7)

चालाक खुदा

चालाक खुदा 
 

खुदा बहुत ही चालाक है

अपनें सर कुछ नहीं लेता
इंसान खुद मौत की मांगे दुआ
इतना बेबस कर देता 
जवानी में जीने की चाह
मांगता खुदा से यह इंसान 
बुढ़ापे में बस मौत ही मांगे
बन जाता दाता का काम
चक्रव्यूह सा यह कालचक्र है
बार बार फँसता इंसान
भगवान नचाता कठपुतली सा
नाचता रहता है इंसान 
नाचता…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 27, 2012 at 11:12am — 2 Comments

समझाओ

समझाओ



वफ़ा हमसे करो या न करो पर गैर न समझो

मुहब्बत हमने की थी क्या खता थी यह तो बतलाओ



मिले तो आप ही छुप छुप के कितनी मर्तवा हमसे

अब किसका था कसूर ऐ-दिल बस इतना तो समझाओ



कहीं 'दीपक' जले तो रौशनी ज़रूर होती है

हमारा दर्द भी समझो बार बार न जलाओ



सुना है बेवफा रोते नहीं आंसू नहीं आते

ऐसा नुस्खा प्रेम का हमको भी दे जाओ…

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 20, 2012 at 3:30pm — No Comments

अपनी अदा

अपनी अदा 
 

आज हम ग़म से वाकिफ हैं,असर तेरी दुआ का है

हर हाल में जीते हम यह अपनी अदा है दोस्त



हक़ दोस्ती-ओ-मुहब्बत का अदा हमको भी करना है

हम हँसते हुए कुर्वान हुए यह अपनी वफ़ा है दोस्त



दुनियाँ यकीं करे न करे तुम ज़रूर कर लेना

हमने तुमपे ऐतवार किया यह अपनी ख़ता है…

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 12, 2012 at 11:30am — 8 Comments

कितना रोता है

दर्द अगर न मिलता तो 
क्या जानते कैसा होता है
हमको सताकर वोह भी 
शायद कितना रोता है 
********
हादसों नें मुझको कहीं का न छोड़ा
फिर भी हमने दोस्तो  जीना नहीं छोड़ा
हर हाल में जीते रहे हम हँस हँस के यारो
घूँट दर्द-ओ-ग़म  का  पीना नहीं छोड़ा    
दीपक कुल्लुवी  

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 10, 2012 at 4:42pm — 4 Comments

घर की मुर्गी



घर की मुर्गी

 

 

हिन्दोस्तान में हिंदी की

बेकद्री इतनी होती…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 10, 2012 at 2:24pm — 3 Comments

दो मुक्तक

(1) आजमाईश

न ख्वावों पे कर भरोसा कमबख्त टूट भी सकते है
और न यकीं दोस्तों पे कमबख्त लूट भी सकते हैं
हम यूँ ही नहीं कहते आजमाईश की है यारो
रिश्ते आज जो अपने से लगे ,कल छूट भी सकते हैं


(2) बेवजह

ताउम्र हम तेरी यादों में तड़पे
नज़रों से अपने तो आंसू भी बरसे
मगर तुमको हरगिज़ न आया तरस
पागल थे हम बेवजह ही जो तरसे


दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 1:00pm — 3 Comments

गीत (टूटा सा ख्वाव हूँ)

टूटा सा ख्वाव हूँ (गीत)



पूछो न कोई मुझसे क्यों पीता शराब हूँ-2

अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-2

--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------



(1) 'दीपक' था नाम जलना था,जलते रहे ऐ-दिल-2

बुझने से पहले बेवफा इक बार आके मिल-2

देती है ताहने दुनियाँ क्या सचमुच ख़राब हूँ

अब किसको क्या पता मैं इक टूटा सा ख्वाव हूँ-२

--पूछो न कोई मुझसे क्यों पी----------



(2) दो घूँट पी लिए अगर यहाँ किसका क्या गया -2

अपनें,बेगाने सबके ही दिल…

Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 11:00am — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service