For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आम आदमी पार्टी 
आज तक हम खास थे अब आम हो गए 
सब पार्टियों को छोड़ 'आम' के साथ हो गए 
सबको परख चुके अब इनको भी परखेंगे 
ख्वावों की वंदिशों से हम आज़ाद हो गए 
कांग्रेस परखी,भाजपा परखी परखी सपा,बासपा
आम आदमी पार्टी भी परख लें पूर्ण होगी परिक्रमा 
या तो लुटिया डूबेगी या तर जाएँगे सारे
हमारे खज़ाने से क्या जाएगा अगर गए वो हारे 
जीत गए गर आम आदमी तो हो जाएँगे ख़ास 
यूँ भी त्रस्त है सारी जनता पहले से ही निराश
सबने अपने भरे खज़ाने किसी को कुछ न मिला 
गरीब और ग़रीब होते गए अब किससे करें गिला       
आम आदमी की लहर उठ चली कुछ तो होगा ज़रूर
किला टूटेगा भ्रष्टाचार का भ्रष्टाचारियों का गरूर  
दुम  दवाकर भागेंगे निठल्ले और रिश्वत खोर 
दीपक शर्मा कुल्लुवी 
27-11-12.

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 29, 2012 at 11:21am

आ. दीपक शर्मा जी, सामयिक विषय पर हमेशा की तरह एक कथन समृद्ध अभिव्यक्ति के लिए बधाई .

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on November 28, 2012 at 9:46am

धन्यवाद रविकर जी,शालिनी जी,जवाहर जी 

केवल बधाई से इब काम न चाल्लेगा हम सबको मिलकर भ्रष्टाचारी दानवों से सामना करना पड़ेगा 
दीपक कुल्लुवी  
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 28, 2012 at 7:45am

आम आदमी बन कर करें समर्थन उनका!

देखे है हम सबको, देखें जलवा उनका

Comment by shalini kaushik on November 27, 2012 at 11:56pm

बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति  .बधाई 

Comment by रविकर on November 27, 2012 at 4:52pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय ।

बधाई स्वीकारें ।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service