नाम ही बस नाम बाकी रह गया है
कहाँ अब इंसान बाकी रह गया है
क्यों नही करता वो मुझको अब क़ुबूल
कौन का इम्तिहान बाकी रह गया है
बस तसल्ली है जो मेरे पास है
कौन सा सामान बाकी रह गया है
दिल मेरा कहता है वापस आएगा वो
क्या कोई तूफान बाकी रह गया है
अब कहाँ खुद्दारियों का है ज़माना
अब कहाँ ईमान बाकी रह गया है
अजय कुमार शर्मा
मौलिक अप्रकाशित
Added by ajay sharma on July 17, 2013 at 11:00pm — 10 Comments
Added by ajay sharma on July 9, 2013 at 12:00am — 4 Comments
जगह जगह मधुशाला देखी , नल का पानी बंद मिला
अंधी नगरी चौपट राजा , किससे शिकायत किससे गिला
दिया दाखिला सब बच्चों को ,
मिली पढ़ाई मात्र नाम की ,
कंप्यूटर मिल रहे खास को ,
बिजली पानी नही आम की ,
आँखो पर पट्टी है या फिर सबको दी है भंग पिला
गूंगे गाये गीत मान के
बहरे सुन सुन कर इतराएँ
अंधों भी उत्सुक हैं ऐसे
महज इशारों मे बौराएँ
बंदर सारे खेल कर रहे ""अजय" मदारी रहा खिला
मौलिक और…
ContinueAdded by ajay sharma on July 7, 2013 at 11:30pm — 9 Comments
(1)
चाय-औ-नाश्ते पे "इस" त्रासदी की चर्चा करेंगे
सदन मे बैठ कर वो लफ्ज़ का खर्चा करेंगे
"" बहुत गमगीन हैं हम" , सारे नेता कह रहे हैं
बने जो गर विधायक "इस" हानि का हरज़ा भरेंगे
(2).
तेरे बर्फ से दोस्ती थी तेरी दरिया से खेलते थे वो
अब घूँट भर पीने को उनको नही मयस्सर पानी
ये क्या कर दिया तूने पल भर मे तोड़ दी यारी
ये कैसी दुस्मनी अपनो से ये कैसी बद-गुमानी
(3).
सभी ये चाहते है अब ज़िंदगी की सूरत बदल…
ContinueAdded by ajay sharma on July 4, 2013 at 10:00pm — 20 Comments
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