For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलते चल्ते जब भी हम रुक जाएँगे..................

चलते चल्ते जब भी हम रुक जाएँगे

तेरी बाहों में हम छुप जाएँगे ................

जब छा जाएँगे रिश्तों के निपट अंधेरे

और थकन की धूल पाँव से सर तक बोलेगी

थकते थकते जब इक दिन चुक जाएँगे

तेरी बाहों में हम छुप जाएँगे................

जब जब बोले हैं , बोले हैं खामोशी से हम

और प्रति-उत्तर भी पाए हैं , वैसे ही हमने

मिलते मिलते मौन कहीं जब थक जाएँगे

तेरी बाहों में हम छुप जाएँगे................

सीधी सरल बात भी गीत , ग़ज़ल या छन्द लगे जब

और लगे ये भाव कि जैसे कोई ख़ुश्बू हो आसपास

छलते -पलते जीवन में जब ऐसे तुक आएँगे

तेरी बाहों में हम छुप जाएँगे................

प्यास बुझाते रहे मगर हम , सागर से

और मिटाते रहे भीड़ से अपनी तन्हाई

बढ़ते -चढ़ते खुद से जब हम इक दिन झुक जाएँगे

तेरी बाहों में हम छुप जाएँगे ................

मौलिक अप्रकाशित अजय कुमार शर्मा

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Mathpal on April 2, 2015 at 8:14pm

आदरणीय अजय शर्मा जी,

सुंदर भाव .बधाई.

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 2, 2015 at 4:31pm

आदरनीय! अजय कुमार शर्मा सर! आप जब भी अपनी रचनाओ के साथ आते है,कमाल आते है,हर बार नयापन होता है,और लाजव़ाब कहन होता है,काश समय मुझे भी आप सा धैर्य सिखा दे!! इस रचना पर तहेदिल से बहुत बहुत बधाई!

Comment by MAHIMA SHREE on April 2, 2015 at 3:15pm

बहुत- 2 बढि़या... बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 2, 2015 at 2:16pm

आदरणीय अजय भाई , भाव पूर्ण , सुन्दर गीत रचना के लिये आपको बधाई ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 2, 2015 at 12:10pm

आ० अजय  शर्मा जी

भाव की दृष्टि से अच्छी रचना है .  सादर.

Comment by somesh kumar on April 2, 2015 at 11:31am

आपके गीतो मे भावुकता और शैली में कुमार विश्वास और विष्णु सक्सेना जी वाला प्रभाव नजर आता है |वस्तुतः आपकी रचनाएँ मंचीय कविताओं वाली अनुभूति कराती हैं |अगर आपने कहीं video अपलोड किया है तो लिंक दें |

Comment by Shyam Narain Verma on April 2, 2015 at 10:37am
बहुत सुन्दर मनभावन गीत .. बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Feb 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Feb 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service