For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक सपनों की दुनियाँ में ---- डॉ ० उषा चौधरी साहनी

यूँ ही बस यूँ ही लगता है , 
कभी इस दुनियाँ से निकल जाऊं , 
दूर  बहुत दूर चली जाऊं , 
किसी और दूसरी दुनियाँ में खो जाऊं, 
सपनों  दुनियाँ में चली जाऊं , 
आँखें मूँद लूँ ,  सपने देखूं , 
खूब ढेर  से  सपने देखूं , 
वो चाहे झूठे  ही क्यों न हों , 
कितने ही झूठे , पर देखूं , 
हँसू , खुद पर हँसू , इतराऊँ , 
मुस्कुराऊँ , धीरे से मुस्कुराऊँ, 
अपने में ही  खो जाऊं , 
हक़ीक़त की इस दुनियाँ में 
बहुत बहुत देर से लौटूं , 
हकीकत ही कितनी हकीकत है , 
कितना अफ़साना है , 
सब झूठ है , सब एक फ़साना है
हर झूठ कहाँ बेगाना है , 
हर सच , किसने जाना है।  
वो भी तो  कितना अंजाना है. 
अच्छा है ,किसी  सुहाने से 
सपने में ही खो जाना , 
हकीकत की दुनियाँ से दूर ,
 बहुत दूर चले जाना 
दुनियाँ की दुनियाँ छोड़ कर , 
अपनी दुनियाँ बनाना ,
जब जी चाहे , 
उसी में चले जाना , 
उसी में चले जाना  । 
 
// मौलिक एवं अप्रकाशित //
 

Views: 855

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 8, 2015 at 6:44pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , सादर धन्यवाद 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 10:19pm

आदरणीय डॉक्टर  उषा चौथरी साहनी जी , सुन्दर रचना ,//

हकीकत ही कितनी हकीकत है , 
कितना अफ़साना है , 
सब झूठ है , सब एक फ़साना है//  .....वाह , हार्दिक बधाई , सादर।

 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 7, 2015 at 1:18pm

आदरणीय विजय शंकर सर आपके प्रोत्साहन  के लिए सादर धन्यवाद 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 7, 2015 at 1:16pm

आदरणीय शरदिंदु मुखर्जी जी , रचना को समय देने के लिए सादर धन्यवाद 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 7, 2015 at 1:10pm

आदरणीय  मिथिलेश वामनकर जी,आपकी प्रतिक्रिया के लिए सादर धन्यवाद, बात सिर्फ इतनी है कि इस भागम भाग की दुनिया से दूर कही कभी कभी एक अवकाश लिया जाये,बस 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 6, 2015 at 8:09pm

आदरणीय  श्याम नारायण वर्मा  जी  सादर धन्यवाद, 

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 6, 2015 at 8:08pm

आदरणीय  सोमेश कुमार जी  सादर धन्यवाद,

Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 6, 2015 at 8:06pm

आदरणीय  जीतेन्द्र पस्टारिया जी सादर धन्यवाद, 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2015 at 11:39am

सुंदर प्रस्तुति. बधाई आदरणीया डा. उषा जी.

Comment by somesh kumar on February 6, 2015 at 9:59am

गैर नही तेरा अपना ही हूँ /तेरी आँखों का सपना ही हूँ 

सोया हूँ पलक पलंग पर /लाया हूँ कुछ यादे रंगकर 

मत खोलो पलके उड़ जाउँगा /फिर ना मैं वापस आऊँगा |

बहुत पहले लिखी ये पंक्तिया आपकी सपनों की दुनिया के अभिवादन में स्वीकर करें |इस रचना प्रयास पर बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
7 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service