देख मयूर
अनुपम सौंदर्य
मन बावरा।
विश्व सौंदर्य
प्रकृति हो रमणी
नाचे मयूर।
सुंदर पंख
नागराज भी डरे
निराला मोर।
मन हर्षाता
पंख फैलाए मोर
जो इठलाता।
काला बादल
नर्तकप्रिय मोर
मन को भाता।
अनिता भटनागर
मौलिक और अप्रकाशित
Posted on July 1, 2023 at 1:00pm
पैसों के तराजू में अब तुल रहे हैं रिश्ते,
छल कपट के नकाब में पल रहे हैं रिश्ते,
छीन लेते हैं अपने ही हमारी मुस्कान,
दिल के बंद पन्ने अब खोल रहे हैं रिश्ते।
चेहरों पे अब नकाब लगाने का चलन है,
नाप तौल से रिश्ते निभाने का चलन है,
चार दिन की जिंदगी भूल गए हैं सब,
गले लगा कर गला काटने का चलन है।
दिलजलों की महफिल में एहतराम कैसा,
गुम हो रहे रिश्ते, है ये फरमान कैसा,
चांद की चांदनी से चमकते रिश्ते,
स्वार्थ के अंधकार में फिर छिपना…
Posted on June 30, 2023 at 7:00pm
Posted on June 22, 2023 at 12:43pm — 2 Comments
ग़ज़ल - मुहब्बत क्यूँ नहीं करते
1222 1222
मुहब्बत क्यूँ नहीं करते,
शरारत क्यूँ नहीं करते |
बड़े ही बे - मुरव्वत हो,
अदावत क्यूँ नहीं करते ||
अलग अंदाज है उनका,
बगावत यूँ नहीं करते |
बिखर जाए अगर लाली,
वो हसरत भी नहीं करते ||
बड़े अरमान हैं मेरे,
हिफाज़त भी नहीं करते |
शिकायत लाख है उनको,
मुखालिफ वो नहीं करते ||
भरोसा तोड़ देते हैं,
इबादत…
ContinuePosted on January 25, 2023 at 9:30pm — 1 Comment
I need to have a word privately,Could you please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.
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