2122 2122 2122 212
है तेरे दम से ही रौशन मेरे जीवन की बहार।
तू नहीं तो ज़िन्दगी में मिल नहीं सकता करार।
पास तेरे रहने का हासिल नहीं है वक़्त पर ,
मेरी साँसों में बसा है तेरी साँसों का खुमार।
ज़िन्दगी की उलझनों से तंग आ जाता हूँ जब,
याद आ जाता है मुझको तब तेरी बाहों का हार।
हर घड़ी तेरी कमी महसूस होती है यहाँ,
ये पराया शहर मुझको तोड़ता है बार बार।
फासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था,
है सफर इक रात का…
Posted on May 10, 2022 at 10:30pm — 3 Comments
नज़र में उलझन भरी हुई है, तमाम रस्ते उजड़ गये हैं ।
सँभलना जितना भी हमने चाहा, हम उतने ज्यादा बुरे गिरे हैं।
हमारे जैसा उदास कोई, हमें कहीं भी नहीं मिला पर,
हमारे दुख से बड़े बहुत दुख ज़माने भर में भरे पड़े हैं।
कभी नहीं वो कहेंगे हमसे, के उनके दिल में है प्यार अब भी,
सकार को भी जिया था हमने नकार को भी समझ रहे हैं।
ये ज़िन्दगी की उदास खुशबू ,जो बस गयी है मेरी रगों में,
ज़रा सा खुश हूँ मैं इसमें क्योंकि तुम्हारें ग़म भी सजे हुए…
Posted on April 28, 2022 at 5:38pm — 6 Comments
2×15
दूर कहीं पर धुंआ उठा था दम घुटता था मेरा भी
ख़्वाब में मैंने देख लिया था दिल सुलगा था मेरा भी
एक अदद मिसरा जो दिल से निकले और पहुँचे दिल तक
हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी
टुकड़े टुकड़े दिल है पर मरने की चाह नहीं होती
तेरे अहसानों के बदले इक वादा था मेरा भी
मेरी आँखों की लाचारी तुम भी समझ नहीं पाए
खारे पानी के दरिया में कुछ हिस्सा था मेरा भी
दिल को यही दिलासा देकर काट रहा हूँ तन्हाई
इस मिट्टी के…
Posted on March 29, 2022 at 12:18am — 6 Comments
2122 2122 2122 212
वक्त इतना भी कठिन कब है,ज़रा महसूस कर।
एक रोशन दिन की ये शब है,ज़रा महसूस कर।
खुद को तन्हा कहना तेरी भूल है, इतना समझ
हर कदम साथी तेरा रब है,ज़रा महसूस कर।
मिल ही जाएगी तेरी मंज़िल अगर चलता रहा
रास्ता थोड़ा सा ही अब है,ज़रा महसूस कर।
तू नहीं पहला बशर है ठोकरों की चोट में,
सालों से चलने का ये ढब है ज़रा महसूस कर।
बेबसी, मायूसियाँ,नाक़ामियाँ, रुसवाईयाँ,
जिंदगी की ये ही तो…
Posted on January 26, 2022 at 11:00pm — 2 Comments
शुक्रिया मनोज जी |
आपका हार्दिक आभार :)
आभार
आ० मनोज जी
सर्वश्रेष्ठ लेखन कभी भी आसान नहीं होता . आपको इस सम्मान के लिये मेरी और से बधाई . सादर .
आदरणीय मनोज कुमार एहसास जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "मेरी बेटी" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
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आपकी मित्रता का ह्रदय से स्वागत है आदरणीय मनोज जी
सादर!
जिंदगी की कशमकश व्यक्त करती अच्छी गजल। प्रयास अच्छा है
जय श्री राधे
भ्रमर ५
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