For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anita Bhatnagar
Share on Facebook MySpace
 

Anita Bhatnagar's Page

Latest Activity

Anita Bhatnagar posted a blog post

हाइकु - मोर /मयूर

देख मयूर अनुपम सौंदर्य मन बावरा।विश्व सौंदर्य प्रकृति हो रमणी नाचे मयूर।सुंदर पंख नागराज भी डरे निराला मोर।मन हर्षाता पंख फैलाए मोर जो इठलाता।काला बादल नर्तकप्रिय मोर मन को भाता।अनिता भटनागर मौलिक और अप्रकाशित See More
Jul 3, 2023
Anita Bhatnagar posted a blog post

नकाबपोश रिश्ते

पैसों के तराजू में अब तुल रहे हैं रिश्ते, छल कपट के नकाब में पल रहे हैं रिश्ते, छीन लेते हैं अपने ही हमारी मुस्कान, दिल के बंद पन्ने अब खोल रहे हैं रिश्ते। चेहरों पे अब नकाब लगाने का चलन है, नाप तौल से रिश्ते निभाने का चलन है, चार दिन की जिंदगी भूल गए हैं सब, गले लगा कर गला काटने का चलन है। दिलजलों की महफिल में एहतराम कैसा, गुम हो रहे रिश्ते, है ये फरमान कैसा, चांद की चांदनी से चमकते रिश्ते, स्वार्थ के अंधकार में फिर छिपना कैसा। क्यूं शह और मात का हैं खेल खेलें, रिश्तों का नहीं मान उम्मीदें…See More
Jul 2, 2023
Anita Bhatnagar posted a blog post

नकाबपोश रिश्ते

पैसों के तराजू में अब तुल रहे हैं रिश्ते, छल कपट के नकाब में पल रहे हैं रिश्ते, छीन लेते हैं अपने ही हमारी मुस्कान, दिल के बंद पन्ने अब खोल रहे हैं रिश्ते। चेहरों पे अब नकाब लगाने का चलन है, नाप तौल से रिश्ते निभाने का चलन है, चार दिन की जिंदगी भूल गए हैं सब, गले लगा कर गला काटने का चलन है। दिलजलों की महफिल में एहतराम कैसा, गुम हो रहे रिश्ते, है ये फरमान कैसा, चांद की चांदनी से चमकते रिश्ते, स्वार्थ के अंधकार में फिर छिपना कैसा। क्यूं शह और मात का हैं खेल खेलें, रिश्तों का नहीं मान उम्मीदें…See More
Jun 30, 2023
Shyam Narain Verma commented on Anita Bhatnagar's blog post छंदमुक्त - अनुशासन
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Jun 25, 2023
Anita Bhatnagar posted a blog post

छंदमुक्त - अनुशासन

अनुशासन के दायरेकर्म पथ पर दृढ़ता सेबढ़ना सिखलाते,अनुशासन की महिमा सेजन्म सफल हो जातेमन के वशीकरण का,अनुशासन सुंदर मंत्रज्यों अपनी ही धूरी पर,चलता जीवन तंत्र।अनुशासन को ध्येय बना लो,लक्ष्य भेद है निश्चितऔर सफलता है निमित्त,अनुशासन लाता है,जीवन में उजियार,सफल बनो संसार में,खुशहाली हो अपारअनुशासन ही है ,विद्या का श्रृंगारतत्परता से दूर हो ,मूढ़ मन के विकार।अनिता भटनागरआदमपुर, पंजाबSee More
Jun 22, 2023
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Anita Bhatnagar's blog post ग़ज़ल
"आ. अनीता जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है पर यह और समय चाहती है। कुछ सुझाव के साथ फिलहाल इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। /बनोगे जो धरती के चाँद सूरज |//यह मिसरा बह्र में नहीं है। बनोगे जो भू के कभी चाँद सूरज" या बनोगे धरा के अगर चाँद…"
Feb 2, 2023
मनोज अहसास commented on Anita Bhatnagar's blog post ग़ज़ल
"सुंदर प्रस्तुति आदरणीय लेकिन मंच के नियमानुसार आपने इस ग़ज़ल पर बहर नहीं लिखी है जब तक बहर नहीं लिखेंगे तब तक इसको समझने में दुश्वारी है सादर"
Jan 26, 2023
मनोज अहसास commented on Anita Bhatnagar's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आदरणीया ग़ज़ल के प्रयास की हार्दिक बधाई आपनव जो बहर लिखी है उसके मुताबिक पूर्ण विराम का प्रयोग इस प्रकार उचित नहीं हैं दो बार पूर्ण विराम न लगाइए एक ही बार लगाइए और दो शेरो के बीच मे एक लाइन नहीं छोड़िए बल्कि हर शेर के बाद एक लाइन…"
Jan 26, 2023
Anita Bhatnagar posted blog posts
Jan 26, 2023
Anita Bhatnagar shared their blog post on Facebook
Jan 25, 2023
Anita Bhatnagar left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सादर आभार आदरणीय "
Jan 25, 2023
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Anita Bhatnagar
"आपका हार्दिक स्वागत है..."
Jan 25, 2023
Anita Bhatnagar is now a member of Open Books Online
Jan 25, 2023

Profile Information

Gender
Female
City State
Adampur
Native Place
Lucknow
Profession
Teaching
About me
Like poetries, cooking, baking,, reading

Anita Bhatnagar's Blog

हाइकु - मोर /मयूर

देख मयूर
अनुपम सौंदर्य
मन बावरा।

विश्व सौंदर्य
प्रकृति हो रमणी
नाचे मयूर।

सुंदर पंख
नागराज भी डरे
निराला मोर।

मन हर्षाता
पंख फैलाए मोर
जो इठलाता।

काला बादल
नर्तकप्रिय मोर
मन को भाता।

अनिता भटनागर 

मौलिक और अप्रकाशित 

Posted on July 1, 2023 at 1:00pm

नकाबपोश रिश्ते

पैसों के तराजू में अब तुल रहे हैं रिश्ते,

छल कपट के नकाब में पल रहे हैं रिश्ते,

छीन लेते हैं अपने ही हमारी मुस्कान,

दिल के बंद पन्ने अब खोल रहे हैं रिश्ते।



चेहरों पे अब नकाब लगाने का चलन है,

नाप तौल से रिश्ते निभाने का चलन है,

चार दिन की जिंदगी भूल गए हैं सब,

गले लगा कर गला काटने का चलन है।



दिलजलों की महफिल में एहतराम कैसा,

गुम हो रहे रिश्ते, है ये फरमान कैसा,

चांद की चांदनी से चमकते रिश्ते,

स्वार्थ के अंधकार में फिर छिपना…

Continue

Posted on June 30, 2023 at 7:00pm

छंदमुक्त - अनुशासन

अनुशासन के दायरे

कर्म पथ पर दृढ़ता से

बढ़ना सिखलाते,

अनुशासन की महिमा से

जन्म सफल हो जाते

मन के वशीकरण का,

अनुशासन सुंदर मंत्र

ज्यों अपनी ही धूरी पर,

चलता जीवन तंत्र।

अनुशासन को ध्येय बना लो,

लक्ष्य भेद है निश्चित

और सफलता है निमित्त,

अनुशासन लाता है,

जीवन में उजियार,

सफल बनो संसार में,

खुशहाली हो अपार

अनुशासन ही है ,

विद्या का श्रृंगार

तत्परता से दूर हो ,

मूढ़ मन के विकार।



अनिता… Continue

Posted on June 22, 2023 at 12:43pm — 2 Comments

ग़ज़ल

 

ग़ज़ल - मुहब्बत क्यूँ नहीं करते 

1222 1222

मुहब्बत क्यूँ नहीं करते,

शरारत क्यूँ नहीं करते |

बड़े ही बे - मुरव्वत हो,

अदावत क्यूँ नहीं करते ||

अलग अंदाज है उनका,

बगावत यूँ नहीं करते |

बिखर जाए अगर लाली,

वो हसरत भी नहीं करते ||

बड़े अरमान हैं मेरे,

हिफाज़त भी नहीं करते |

शिकायत लाख है उनको,

मुखालिफ वो नहीं करते ||

भरोसा तोड़ देते हैं,

इबादत…

Continue

Posted on January 25, 2023 at 9:30pm — 1 Comment

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:36am on January 25, 2023, लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' said…

आपका हार्दिक स्वागत है...

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service