For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार एकहत्तरवाँ आयोजन है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

17 मार्च 2017 दिन शुक्रवार से 18 मार्च 2017 दिन शनिवार तक


इस बार छन्दों में चले आ रहे छन्दों से अलग, अपेक्षाकृत नये छन्द, सार छन्द और कुण्डलिया छन्द को रखा गया है. - 

यह जानना रोचक होगा, कुण्डलिया छन्द दोहा छन्द और रोला छन्द का समुच्चय ही है !

[प्रस्तुत चित्र निजी एलबम से है]

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है.

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 मार्च 2017 दिन शुक्रवार से 18 मार्च 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12107

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय सौरभ सर, अपने प्रयास पर आपकी सराहना और मुक्त-कंठ प्रशंसा पाना, मेरे लिए बड़ी बात है. यह प्रयास आपको पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. मेरे प्रयास की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आपका. हार्दिक धन्यवाद. सादर नमन 

आदरणीया सीमा जी, आपकी मुक्त-कंठ सराहना मुग्धकारी है. मेरे प्रयास की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आपका. हार्दिक धन्यवाद. सादर 

आदरणीय मिथिलेश सर! अद्भुत..............
शब्द, भाव, शिल्प, अर्थ-गौरव, पांडित्य, मनस-गाम्भीर्य, दर्शन, सामयिकता आदि सब कुछ मानदंडवत है। रचना और रचयिता दोनों को नमन।

आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी, आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर आनंदित हूँ. आपकी मुक्त-कंठ प्रशंसा मुग्धकारी है.मेरे प्रयास की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आपका. हार्दिक धन्यवाद. सादर 

आदरणीय मिथिलेश जी प्रदत्त चित्र को परिभाषित करता सार छंद आधारित सुंदर मोहक गीत इस सार्थक सृजन हेतु   सादर बधाई प्रेषित है 

तुच्छ समझकर तजते हैं सब, पद से सिर्फ बड़ा हूँ।

हाय! स्वयं अपने मौसम से, लड़कर अड़ा खड़ा हूँ।

पुष्प रहे हेमंत शरद के, सब दरबार-विलासी।

रक्तपुष्प मैं ब्रह्मावृक्षक, सदा रहा वनवासी।

अच्छे दिन आने वाले हैं, उनकी तलाश हूँ मैं।

जीवन के पतझड़ में विजयी,

खिलता पलाश हूँ मैं।      ..... सुन्दर अभिव्यक्ति 

आदरणीय सत्यनारायण सिंह जी, आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुश हूँ. मेरे प्रयास की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आपका. हार्दिक धन्यवाद. सादर 

जीवन के पतझड़ में विजयी,

खिलता पलाश हूँ मैं।..  वाह ... 

 

सार छंद के शिल्प में आपने जो गीत रचा है सचमुच अद्भुत है  आदरणीय मिथिलेश जी ...हार्दिक बधाई 

आदरणीया प्रतिभा जी, आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर मुग्ध हूँ. मेरे प्रयास की सराहना तथा उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आपका. हार्दिक धन्यवाद. सादर 

मौसम -(सार छंद पर एक प्रयास )

 

छन्न पकैया छन्न पकैया कैसा मौसम आया

पर्ण विहीन कहीं शाखाएं कहीं पुष्प मुस्काया !!!१!

  

छन्न पकैया छन्न पकैया पतझड़ ये समझाये

सुख दुख पहलू हैं जीवन के, इक आये इक जाए !!२!!

 

छन्न पकैया छन्न पकैया मन भावों का जंगल

टेसू फूलों से पतझड़ में , हो जंगल में मंगल !!३!!

 

छन्न पकैया छन्न पकैया,अज़ब ईश  की लीला

इक बसंत जीवन की सांसें ,इक पतझड़ का टीला !!४!!

  

नहीं क़हर कोई मौसम का ,ये तो प्रकृति के  रंग

कभी बसंत तो कभी पतझड़ , यही जीवन की जंग !!५!!

 

मौलिक एवम अप्रकाशित

 

छन्न पकैया छन्न पकैया छ्न्द कहे सब न्यारे
अंतिम छ्न्द के अंत को देखो,भाव भए सब प्यारे।

हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।

आदरणीय सुशील भाई

मेरी प्रस्तुति पर आदरणीय सौरभ भाईजी की टिप्पणी अवश्य पढ़िए ।

सार छंद में सुंदर प्रस्तुति , हार्दिक बधाई।

आदरणीय अखिलेश जी प्रयास पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। अंतिम छंद में हो गलती न जाने कैसे। इस ओर ध्यान आकर्षित करने का हार्दिक आभार। वैसे मैंने इसे दुरुस्त तो कर लिया है लेकिन संकलन के समय संशोधन हेतु अनुरोध करूंगा(आ. सतविंदर जी के आभार में मैंने इसे दर्शाया है )। यही इस कार्यशाला का महत्त्व है। हार्दिक आभार सर।


शायद अब आप संतुष्ट होंगे।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
11 hours ago
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
20 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"  कृपया  दूसरे बंद की अंतिम पंक्ति 'रहे एडियाँ घीस' को "करें जाप…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"पनघट छूटा गांव का, नौंक- झौंक उल्लास।पनिहारिन गाली मधुर, होली भांग झकास।। (7).....ग्राम्य जीवन की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"    गीत   छत पर खेती हो रही खेतों में हैं घर   धनवर्षा से गाँव के, सूख गये…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"गांव शहर और ज़िन्दगीः दोहे धीमे-धीमे चल रही, ज़िन्दगी अभी गांव। सुबह रही थी खेत में, शाम चली है…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
Saturday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
Saturday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदाब, उस्ताद-ए-मुहतरम, आपका ये ख़िराज-ए-तहसीन क़ुबूल फ़रमा लेना मेरे लिए बाइस-ए-शरफ़ और मसर्रत है,…"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service