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"ओ बी ओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता" अंक - 2

भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर प्रणाम,

जइसन कि रउआ लोगन के खूब मालूम बा, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार अपना सुरुआते से साहित्य-समर्थन आ साहित्य-लेखन के प्रोत्साहित कर रहल बा ।

एही कड़ी में भोजपुरी साहित्य-लेखन विशेष क के काव्य-लेखन के प्रोत्साहित करे के उद्येश्य से रउआ सभ के सोझा एगो अनूठा आ अंतरजाल प भोजपुरी-साहित्य के क्षेत्र में अपना तरहा के एकलउता लाइव कार्यक्रम ले के आ रहल बा जवना के नाम बा "ओबीओ भोजपुरी काव्य प्रतियोगिता"

तीन दिन चले वाली ई ऑनलाइन प्रतियोगिता तिमाही होले, जवना खातिर एगो विषय भा शीर्षक दिहल जाला । एही आधार प भोजपुरी भाषा में पद्य-रचना करे के बा । एह काव्य प्रतियोगिता में रउआ सभे अंतरजाल के माध्यम से ऑनलाइन भाग ले सकत बानी अउर आपन भोजपुरी पद्य-रचना के लाइव प्रस्तुत क सकत बानी । साथहीं, प्रतिभागियन के रचना पर आपन मंतव्य दे सकत बानीं भा निकहा सार्थक टिप्पणी क सकत बानी |

जे सदस्य प्रतियोगिता से अलग रह के आपन रचना प्रस्तुत कईल चाहत बाड़े, उनुकरो स्वागत बा, आपन रचना "प्रतियोगिता से अलगा" लिख के प्रस्तुत कर सकेलें |

भोजपुरिया भाषी लोगन के संगे बड़का दिक्कत बा कि उ लोग भोजपुरी बोले में लजाला, जब बतकही करेवाला भोजपुरी बोल समझ लेत बा त फेनु बोले में का दिक्कत ? जब भोजपुरी माई भाषा ह, फेनु बोले में काहे हिचकिचाई ? शान से बोलीं, मन से बोली, आपन भोजपुरी बहुते मीठ भाषा , त आई एही मुदा के एह प्रतियोगिता के विषय बनावल जाव अउरो एके काव्यात्मक अभिव्यक्ति कईल जाव ....

प्रतियोगिता के विषय :  "मन से बोलीं भोजपुरी"

अवधि : प्रतियोगिता दिनांक 29 मई दिन बुधवार लागते सुरु होखी आ 31 मई दिन शुक्रवार के रात 12 बजे ख़तम हो जाई।

पुरस्कार :

त्रि-सदस्यीय निर्णायक मण्डल के निर्णय के आधार प विजेता रचनाकारन के नाँव के घोसना कइल जाई ।

प्रथम - रु 1001/- अउर प्रमाण पत्र
द्वितीय - रु 551/-अउर प्रमाण पत्र
तृतीय - रु 501/-अउर प्रमाण पत्र

पुरस्कार राशि (भारत में भुगतेय चेक / ड्राफ्ट द्वारा) अउर प्रमाण पत्र, खलिहा भारत के पता प भेजल जाई ।

पुरस्कार के प्रायोजक

(1) Ghrix Technologies (Pvt) Limited, Mohali
A leading software development Company

(2) गोल्डेन बैंड इंटरटेनमेंट (G-Band)
(A leading music company)
H.O.F-315, Mahipal Pur-Ext. New Delhi.

नियम 

1- रचना भोजपुरी भाषा में होखे के चाहीं |

2- रचना के कथ्य आ लिहाज अइसन होखे जे सपरिवार पढ़ल आ सुनल जा सके ।

3- रचना "मौलिक आ अप्रकाशित" होखे के चाहीं । माने रचना केहू दोसर के ना आपन लिखल होखे अउर रचना कवनो वेब साईट चाहे ब्लॉग पर पहिलहीं से प्रकाशित नत होखे ।

4- प्रतिभागी कवि आपन रचना काव्य के कवनो विधा में अधिका से अधिका कुल तीन हाली दे सकत बाड़न । ध्यान अतने राखे के बा जे रचना के स्तर बनल रहे । माने अधिका लिखे का फेरा में रचना के गुणवत्ता ख़राब नत होखे |

5- बेकार अउर नियम विरुद्ध रचना बिना कवनो कारण बतवले मंच संचालक / ओबीओ प्रबंधन दल द्वारा हटावल जा सकेला ।

6- अबही Reply बॉक्स बंद रही जवन ठीक कार्यक्रम प्रारंभ होत यानी तारीख २९ मई लागते खोल दियाई अउर 31 मई खतम भइला प बंद क दीहल जाई |

7- अगर रउआ कवनो कारने आपन रचना समय से पोस्ट करे में असमर्थ बानीं त आपन रचना ई-मेल के जरिये admin@openbooksonline.com पर भेज दिहीं | राउर रचना एडमिन OBO का ओर से राउर नाँवें पोस्ट क दीहल जाई। ओइसे कोशिश ईहे करीं जे राउर रचना रउए पोस्ट करीं । ई सुविधा खलसा ओबीओ सदस्य लोगन खातिर बा ।

8- जौन रउआ अबहीं ले ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नईखी जुड़ल त www.openbooksonline.com पर जाके sign up कइ OBO के मुफ्त सदस्यता ले लिहीं आ भोजपुरी साहित्य समूह के ज्वाइन करीं |

9- अधिका जानकारी खातिर रउआ मुख्य-प्रबंधक के ई-मेल admin@openbooksonline.com पर मेल करीं । चाहे मोबाइल नंबर 09431288405 पर संपर्क क सकत बानीं |

             मंच संचालक
           सतीश मापतपुरी
(प्रबंधक भोजपुरी साहित्य समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीय जवाहर जी भाई सादर, गरमी से बेहाल खेत नदी पोखर सबको बादल पानी की आस है. सुन्दर रचना. सादर बधाई स्वीकारें.

बहुत सुन्दर गीत रचा है आदरणीय 

मकई के बाल का तोरा न नीक लागे

बजरा, जुआर मडुआ भी मुस्काले

करतानी तोहरा गोहार, थोड़ा तो सुस्ता लअ ! आय हाय   क्या बात है 

बहुत सुन्दर सादर बधाई स्वीकारें 

रचना निमन बा, लेकिन दिहल विषय पर नईखे, प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करी आदरणीय जवाहर लाल जी । 

आदरणीय संचालक महोदय 
सादर 
तीसरा प्रयास आपकी सेवा में निम्नवत है 
-------------------------------------------------

घमसा मा तपला शरीरिया 

ठंडाय भोजपुरी बयरिया 
रतिया जगल दिना म सोयली ...२ 
मुरगवा बोले चढ़ अटरिया 
सास बिगड़ली नन्दा बिगड़ली .....२ 
काहिल बड़ी हमरी बहुरिया 
पीड़ा हमरी काह न समझलि .....२ 
परदेस गइले सांवरिया 
चंदा निकसे सुरजा डुबले  .......२ 
तारा चुभे मोरी नजरिया 
छोड़ आइल बाबुल अंगना ..२ 
छोडिबे न तोहरे चरनिया 
दिना रतिया ताना ह सुनली ...२ 
मिश्री सी भोजपुरी गुजरिया 
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
31-5-2013 
मौलिक / अप्रकाशित 

आदरणीय अब तो आप छा ही गए! इस प्रतियोगिता में तो आपने ही रंग भरा! आपको साधुवाद!

प्रिय ब्रजेश जी 

सस्नेह. 

आपकी देन है. 

असीम स्नेह हेतु सादर आभार 

//आपकी देन है// 

हाहाहा.....क्या मजाक करते हैं बड़े भाई! 

बिरहा आ बएथा के निकहा बखान बा, भाईजी.

ओइसे त शीर्षक से ई रचना हटल बा, बाकिर राउर अदम्य उत्साह आ प्रयास प मन मनसाइल बा.

गाँव-देस के बहुरियन के दर्द आ ओकर दासा के राह गावत एह रचना खातिर बधाई, आदरणीय.

सादर

आदरणीय सौरभ सर जी 

सादर 

आपके आशीर्वाद के वाद कुछ कहना ध्रष्टता होगी. मैने भोजपुरी को यहाँ भाषा के रूप में न ले कर समग्र भोजपुरी व्यक्तित्व को लिया है . जिसमे भोजपुरी भाषा भी समाहित है . कितनी भी तपन हो मन व्यथित हो भोजपुरी बयार ..मीठी बोली ..शीतलता देती है. ऐसा ही देश के इन लोगो का व्यवहार, बोली, लहजा मिश्री जैसा होता है. डांटते भी हैं तो लगता है मुखार बिंदु से फूल झर रहे हैं .

आजकल पूरब देश से बहुत से रिश्ते पश्चिम में हो रहे हैं वहाँ से आयी भोजपुरी गुजरिया अपनी तकलीफ सहते हुए भी सास नन्द का दिल जीत लेती है अपने करतब मीठी बानी से .और चरणों में रहने की बात करती है . लगता है मेरा कवि दिल अपनी बात रचना में लिख नही पाया वर्ना इसे विषय वस्तु से अलग नही माना जाता 

आपका मार्ग दर्शन चाहिये कि इसे कैसे प्रस्तुत किया जाता है . 

छमा के साथ निवेदन है .

जिस उच्च भाव के साथ आपने रचनाकर्म किया है और जो संवेदना इन पंक्तियों से उमग आने को अपेक्षित थी, संभवतः वह अभिव्यक्त न हो पायी.

आपकी रचनाधर्मिता वास्तव में अभिभूत करती है, आदरणीय, लेकिन अभिव्यक्ति को संयत करना ही वह तपस है जिसकी साधना रचनाकार सतत और दीर्घकाल तक करते हैं.

सादर

बहुत सुन्दर प्रवाहमय भोजपुरी विरह गीत आदरणीय प्रदीप जी ..बहुत बहुत बधाई 

आदरणीय प्रदीप जी सादर, शायद कोई गीत रचने का प्रयास हुआ है. किन्तु लगता है शुरू की कुछ पंक्तियाँ बाद की पंक्तियों से भिन्न भाव लिए है गीत यदि है तो एक मुखड़ा भी बनाया जाना चाहिए था.जो भी हो यह बहुत ख़ुशी की बात है की आपने अपने कोटे की तीन रचनाएं प्रस्तुत की हैं.बहुत बहुत बधाई.

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