For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 59 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

विषय - " आस/उम्मीद "

(जब तक उम्मीद की एक भी किरण है घोर विपत्तियों में भी जिन्दगी प्राणवान रहती है, हर लम्हा आनंदघोष करता हुआ विजय की ओर अग्रसर लगता है, लेकिन जैसे ही आशा की डोर छूटी मन को नैराश्य घेर लेता है और ज़िंदगी पल पल बोझिल प्रतीत होती है. प्रत्येक मानव की ज़िंदगी इसी आशा-निराशा के दो छोरों के संतुलन को साधती हुई आगे बढ़ती है......  आइये आज इसी बहुमूल्य आशा की सत्ता  को अपनी भावनाओं से जोड़ कर ओढ़ाते हैं शब्दों का आवरण और अभिव्यक्त करते हैं अपने मन की बात कविताओं में.....)

आयोजन की अवधि- 09 अक्टूबर 2015, दिन शुक्रवार से 10 अक्टूबर 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 09अक्टूबर 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 7570

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय डॉ. विजय शंकर साहब सादर, जी ! सही कहा है आपने, आस के कारण ही मनुष्य में कष्ट झेलने की क्षमता आती है. रचना को मान देती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आपका दिल से आभार. सादर.

आ० अशोकजी , बहुत सुन्दर रचना की आपने और जीवन की सच्चाई को मानो प्रत्यक्ष ही कर दिया . साधुवाद .

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव साहब सादर प्रणाम, आपने रचना भावों को महसूस किया मेरा रचनाकर्म सफल हुआ. आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.

आदरणीय अशोक रक्ताले जी 

बहुत खूबसूरत आल्हा गीत प्रस्तुत किया है आपने..वाह!  

हर बंद में जीवन के लिए अनमोल बातों पिरोया है.....यथार्थपरक कहन , कथ्य का सुन्दर विन्यास, सहज शब्दावली और सुगठित शिल्प सबने मिल कर मन मोह लिया 

बहुत बहुत बधाई इस उत्कृष्ट प्रस्तुति पर 

सादर.

आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी सादर, आपकी प्रस्तुति को सार्थक करती प्रतिक्रिया से प्रस्तुत रचना को मान मिला है. आपका हार्दिक आभार. सादर.

आदरणीय रक्ताले सर विषय को सार्थक करता बहुत सुन्दर गीत हुआ है इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई 

 

खोना-पाना सच्चाई है, क्षण-क्षण का तुम जानो मोल

धैर्यवान बनकर रहना है , बोलो सबसे मधुमय बोल

चिंताओं के काँटे चुनकर , फैलाना है सदा सुवास

मिला कष्ट हर तुम सह लेना, मन में रखकर सुख की आस |

बहुत सुन्दर अन्तरा है इन पंक्तियों के लिए विशेष बधाई  सादर 

हर रंग गाथा जुदा है मेरी[ तुकांत ]

हूँ मानव उम्मीद मै तेरी

हर रंग गाथा जुदा है मेरी

ओल्ड होम में छोड़ चले

माँ को उसके ही अपने

लौट के फिर लेनेआयेंगे

हर दिन बुनती ताज़े सपने

हूँ मै उसके आँख की बदली

कभी संजीदा कभी हूँ पगली

अंक सूची में उलझा देखो 

खड़ा हुआ एक युवा वहाँ 

रोज़ी की चिंता में जिसके 

सारे सपने धूआँ धूआँ 

हूँ मै उसके हाथ का कंपन

और पिता के दिल की धड़कन

पक्का प्रॉमिस था पापा का

जब सरहद से छुट्टी आयेंगे

चाबी से चलने वाली वो

मुन्ना की  गाड़ी लायेंगे  

हूँ मै उस गाड़ी  की छुक छुक

गुमसुम माँ के दिल की धुक धुक

मौलिक व् अप्रकाशित  

 

वाकई में मानव मन में पलते विविध रंगों के आस को बेहतरीन शब्द दिये है आपने आदरणीया प्रतिभा जी । बधाई स्वीकार करें ।

सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीया कांता जी 

आ०  प्रतिभा बहन , मानव मन में पलते विविध सपनों को सुंदरता से पिरोने के लिए हार्दिक बधाई l

सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण  जी 

आदरणीया प्रतिभाजी

तीनों की आस निराश भई,.......लेकिन प्रयास करते रहना है। बच्चे युवा बुजुर्ग तीनों की समस्याओं को आपने खूबसूरती से उठाया है, हृदय से बधाई

छुट्टी आयेंगे ...... छुट्टी पायेंगे

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"वाक़िफ़ हैं नाज़नीनों की नीची-नज़र से हम दामन जला के बैठे हैं रक़्स-ए-शरर से हम सीना-सिपर हैं…"
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आदरणीय अमित जी, कॉपी पेस्ट हो गए थे। फिलहाल एडिट कर तीन शेर अलग से कमेंट बॉक्स में पोस्ट कर दिए…"
57 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"तीन बोनस शेर  कितना भी दिल कहे यही बोले नजर से हम। बिल्कुल नहीं कहेंगे यूं कुछ भी अधर से…"
59 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"रे हैं आज सुब्ह ख़ुद अपनी नज़र से हम दुबके रहे थे कल जो डकैतों के डर से हम /1 मय्यत पे जो भी आए वो…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब  आपने १४ अश'आर पोस्ट किए हैं। कृपया एडिट करके इन्हें ११ कर…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"२२१ २१२१ १२२१ २१२ वाक़िफ़ हुए हैं जब से जहाँ के हुनर से हम डरने लगे हैं अपने ही दीवार-ओ-दर से हम…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"मजाहिया ग़ज़ल हालात वो नहीं हैं कि निकले भी घर से हम।आते दिखे जो यार तो निकले इधर से हम। कितना भी…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service